आकाश विजयवर्गीय मामलाः प्रधानमंत्री मोदी बोले- किसी का भी बेटा हो पार्टी से निकाल देना चाहिए
मध्य प्रदेश में निगमकर्मी की बैट से पिटाई कर चर्चा में आए भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय पर प्रधानमंत्री मोदी ने सख्ती दिखाई है। दिल्ली में चल रही भाजपा संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री ने आकाश का नाम लिए बिना कहा कि वो चाहे किसी का भी बेटा क्यों न हो, उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए। बता दें, आकाश भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय के बेटे हैं। आइये, पूरा मामला जानते हैं।
प्रधानमंत्री बोले- ऐसे लोगों को पार्टी से बाहर करो
पिछले काफी दिनों से आकाश चर्चा में है। निगम कर्मचारी की बैट से पिटाई के मामले में आकाश जेल भी गए थे। जब वो जेल से निकलकर आए तो उनके समर्थकों ने उनका जोरदार स्वागत किया था। उनके स्वागत में हवाई फायर भी किए गए। इस पर नाराजगी जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी का भी बेटा हो, उसकी ये हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिन लोगों ने स्वागत किया है, उन्हें पार्टी में रहना का हक नहीं है।
सांसदों को दी विवादित टिप्पणी से बचने की सलाह
प्रधानमंत्री मोदी ने कड़े लहजे में कहा कि किसी का बेटा होने का यह मतलब नहीं है कि मनमानी की छूट होगी। साथ ही उन्होंने सांसदों को किसी भी विवादित टिप्पणी से बचने की सलाह दी। भाजपा नेता राजीव प्रताप रुडी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पार्टी के सभी सदस्यों को निर्देश दिया है कि पार्टी में किसी के द्वारा भी ऐसा व्यव्हार मान्य नहीं होगा। जो भी इस तरह का बर्ताव करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
रविवार को जमानत पर बाहर आए आकाश
दरअसल, इंदौर नगर निगम के कर्मचारी एक जर्जर मकान को गिराने पहुंचे थे। जब इसकी सूचना भाजपा विधायक आकाश को मिली तो वो अधिकारियों से उलझ गए। यह विवाद बढ़ गया और उन्होंने बैट लेकर निगम के कर्मचारी की पिटाई कर दी। इस मामले में आकाश को 26 जून को गिरफ्तार किया गया था। बीते रविवार को वो जमानत पर जेल से बाहर आए हैं। जेल से बाहर आते ही कहा कि कारावास में उनका समय अच्छा गुजरा।
यहां देखिये विधायक जी की करतूत
कैलाश विजयवर्गीय ने अपने बेटे को बताया था कच्चा खिलाड़ी
भाजपा मसहासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने इस घटना के बाद अपने विधायक बेटे को कच्चा खिलाड़ी बताया था। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा था, "ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। मुझे लगता है आकाश और नगर निगम के कमिश्नर, दोनों कच्चे खिलाड़ी हैं। यह एक बड़ा मुद्दा नहीं था, लेकिन इसे बड़ा मुद्दा बना दिया गया।" आगे उन्होंने कहा कि अधिकारियों को अहंकारी न होकर जनप्रतिनिधियों से बात करनी चाहिए। दोनों को समझना चाहिए ताकि दोबारा ऐसी घटनाएं न हो।