मणिपुर में भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेगी नीतीश कुमार की JDU- रिपोर्ट
क्या है खबर?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) जल्द ही मणिपुर में भाजपा से समर्थन वापस ले सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मुद्दे पर अंतिम फैसला 3-4 सितंबर को पटना में होने वाली JDU की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में मणिपुर और राष्ट्रीय नेतृत्व के बीच चर्चा के बाद लिया जाएगा।
राज्य में JDU मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा गठबंधन की सरकार को बाहर से समर्थन दे रही थी।
आंकड़े
JDU के समर्थन वापस लेने से भाजपा सरकार पर नहीं आएगा कोई खतरा
JDU के फैसले का मणिपुर की बीरेन सिंह सरकार पर खास असर नहीं पड़ेगा और ये खतरे में नहीं आएगी।
60 सदस्यीय राज्य विधानसभा में अभी भाजपा सरकार को 55 विधायकों का समर्थन हासिल है, जिसमें JDU के सात विधायक भी शामिल हैं।
अगर JDU समर्थन वापस ले भी लेती है तो सरकार के पास फिर भी 48 विधायकों को समर्थन रहेगा जो 31 विधायकों के बहुमत के आंकड़े से काफी अधिक है।
मणिपुर विधानसभा चुनाव
भाजपा और JDU ने अलग-अलग लड़ा था चुनाव
बता दें कि इस साल की शुरूआत में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा और JDU ने गठबंधन में चुनाव नहीं लड़ा था और उन्होंने अपने अलग-अलग उम्मीदवार उतारे थे।
मणिपुर JDU के सूत्रों ने NDTV को बताया कि चूंकि पार्टी भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा थी, इसलिए चुनाव के बाद JDU के सात विधायकों ने भाजपा सरकार को बाहर से समर्थन दे दिया।
मणिपुर इकाई ने 10 अगस्त को इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया था।
पृष्ठभूमि
9 अगस्त को नीतीश ने तोड़ा था भाजपा से गठबंधन
गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने इस महीने की शुरूआत में भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया था जिसके बाद दोनों के गठबंधन वाली बिहार सरकार गिर गई थी।
भाजपा से गठबंधन तोड़ते हुए नीतीश ने 9 अगस्त को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था और फिर मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बना ली।
उन्होंने 10 अगस्त को रिकॉर्ड आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
कारण
नीतीश ने भाजपा से गठबंधन क्यों तोड़ा?
यूं तो नीतीश और भाजपा के संबंध 2019 लोकसभा चुनाव से ही सहज नहीं रहे हैं, लेकिन मौजूदा घटनाक्रम नीतीश के उत्तराधिकारी रहे आरसीपी सिंह को लेकर पैदा हुआ।
JDU का आरोप है कि महाराष्ट्र में शिवसेना की तरह भाजपा सिंह के द्वारा JDU को भी तोड़ने की कोशिश कर रही थी और नीतीश को इसकी भनक लग गई थी।
इसके अलावा नीतीश अमित शाह के बिहार को रिमोट कंट्रोल करने की कोशिश करने से भी नाराज थे।