
JDU के लिए कितने खास केसी त्यागी, प्रवक्ता पद से इस्तीफे के बाद क्या होगी भूमिका?
क्या है खबर?
बिहार में जनता दल यूनाइटेड (JDU) के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाते हैं। ऐसे में उनका राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से इस्तीफा देना कई सवाल पैदा कर रहा है।
त्यागी ने इस्तीफे के लिए बढ़ती उम्र और निजी कारणों को बताया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में उनके बयानों से पार्टी की असहज स्थिति इसका कारण बताई जा रही है।
अब पार्टी में 75 वर्षीय त्यागी की क्या भूमिका होगी, आइए जानते हैं।
इस्तीफा
सिर्फ निभाएंगे सलाहकार की भूमिका
त्यागी मौजूदा समय में पार्टी में राष्ट्रीय प्रवक्ता के साथ सलाहकार भी थे। प्रवक्ता पद से इस्तीफा देने के बाद अब त्यागी सिर्फ सलाहकार रह गए हैं।
सलाहकार का पद पार्टी में नियमित और ज्यादा सक्रिय रहने वाला नहीं है। ऐसे में त्यागी अब लगभग पार्टी से साइड लाइन ही बताए जा रहे हैं।
इस्तीफे के बाद त्यागी ने खुद ही कहा कि वह सलाहकार बने रहेंगे और नीतीश को नहीं छोड़ेंगे। जब जरूरत होगी नीतीश उनको बुला सकते हैं।
पद
पहले प्रवक्ता पद से हटाया गया
JDU में नीतीश ने जब राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ा तो ललन सिंह को यह जिम्मेदारी दी गई। तब मार्च 2023 में त्यागी को राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से हटाया गया था।
नीतीश ने 2 महीने बाद कार्यकारिणी बैठक बुलाकर त्यागी को फिर से प्रवक्ता और विशेष सलाहकार भी बना दिया। इसके बाद उन्होंने अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी खुद ले ली।
त्यागी को नीतीश का भरोसेमंद चेहरा माना जाता है। त्यागी पुराने समाजवादी के तौर पर जाने जाते हैं।
जानकारी
राष्ट्रीय प्रवक्ता क्यों है इतना खास?
राष्ट्रीय प्रवक्ता किसी भी पार्टी की मुख्य आवाज होता है। प्रवक्ता के बयान का मतलब पार्टी और अध्यक्ष का विचार और लाइन है। त्यागी के कई बयानों से विवाद खड़ा हुआ और पार्टी भी असहाय नजर आई। अब राजीव रंजन JDU के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं।
पहचान
कौन हैं केसी त्यागी?
10 दिसंबर, 1950 को उत्तर प्रदेश में जन्मे त्यागी ने चौधरी चरण सिंह के साथ राजनीतिक पारी शुरू की थी। हालांकि, 1984 में अपने पहले चुनाव में वे हार गए, लेकिन 1989 में जनता दल के टिकट से पहली बार सांसद बने।
इसके बाद समाजवादी पार्टी से होते हुए JDU में पहुंचे और 2013 में नीतीश ने उनको राज्यसभा भेजा। त्यागी सिर्फ एक बार लोकसभा चुनाव जीते हैं।
उनके पास सरकार में बड़ा पद नहीं रहा, लेकिन संगठन मजबूत किया।