पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह का निधन, AIIMS में ली अंतिम सांस
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कुछ ही दिन पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का साथ छोड़ने वाले वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह का निधन हो गया है। दो दिन पहले तबियत बिगड़ने पर उन्हें दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती कराया गया था। बताया जा रहा है कि सांस लेने में परेशानी होने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद डॉक्टर उनको बचा नहीं पाए।
लालू के बेहद करीबी माने जाते थे रघुवंश
रघुवंश को लालू यादव के करीबी लोगों में शुमार किया जाता था। वो पिछले 32 सालों से लालू यादव और उनकी पार्टी के साथ जुड़े थे। हालांकि, तीन दिन पहले ही उन्होंने अस्पताल से ही पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। हाथ से लिखा इस्तीफा लालू को भेजते हुए उन्होंने कहा कि वह अब उनका साथ नहीं दे सकते। रघुवंश लालू के बेटों से नाराज बताए जा रहे थे। वो पार्टी चलाने के उनके तरीके से सहमत नहीं थे।
इस्तीफे में रघुवंश ने लिखा, 32 साल आपके पीछे खड़ा रहा, अब नहीं
AIIMS में इलाज करा रहे रघुवंश प्रसाद ने यहीं से लालू को इस्तीफा भेजते हुए लिखा था "जननायक कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 32 वर्षों तक आपके पीछे खड़ा रहा, लेकिन अब नहीं। पार्टी नेता, कार्यकर्ता और आमजन ने बड़ा स्नेह दिया, मुझे क्षमा करें।" जनता दल के दिनों से लालू के साथ रहे और उनके बेहद करीबी रघुवंश RJD के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और 1997 में पार्टी के गठन से ही इसके साथ थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री के निधन पर दुख प्रकट करते हुए कहा, "आज रघुवंश प्रसाद सिंह हमारे बीच नहीं रहे। उनके निधन ने बिहार के साथ-साथ पूरे देश की राजनीति में सूनापन छोड़ दिया है।" मोदी ने कहा कि वो ऐसे नेता था, जिनको गरीबी की समझ थी और उन्होंने जीवन बिहार में गुजार दिया। मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को रघुवंश प्रसाद सिंह के सपने पूरे करने की दिशा में काम करने को कहा है।
राजनीति में आने से पहले कॉलेज में लेक्चरर थे रघुवंश प्रसाद सिंह
पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह की पहचान बिहार के कद्दावर नेता के तौर पर होती थी। 1977 में राजनीति में कूदने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह लगातार चार बार वैशाली से लोकसभा सांसद रहे थे। UPA सरकार के दौरान वो केंद्रीय मंत्री भी बने। राजनीति में आने से पहले वो सीतामढ़ी के गोयनका कॉलेज के लेक्चरर थे। इसी दौरान छात्र आंदोलन तेज हो चुका था। इस मामले में रघुवंश प्रसाद सिंह को जेल भी जाना पड़ा था।