नंदीग्राम: चुनाव आयोग ने ममता के आरोपों को किया खारिज, कर सकता है कार्रवाई
चुनाव आयोग ने नंदीग्राम विधानसभा सीट के एक मतदान केंद्र पर वोटिंग बाधित किए जाने के ममता बनर्जी के आरोपों को खारिज कर दिया है। आयोग ने ममता के आरोपों को तथ्यात्मक रूप से गलत और आधारहीन बताते हुए उनके आचरण पर सवाल खड़े किए हैं। आयोग मामले में आदर्श आचार संहिता और जन प्रतिनिधि अधिनियम के प्रावधानों के तहत ममता के खिलाफ कार्रवाई करने पर भी विचार कर रहा है।
क्या है पूरा मामला?
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस (TMC) से भाजपा में शामिल हुए सुवेंदु अधिकारी की सीधी टक्कर के कारण चर्चा में आई नंदीग्राम विधानसभा सीट पर 1 अप्रैल को वोटिंग हुई थी। वोटिंग के दौरान बयाल-2 स्थित सात नंबर मतदान केंद्र पर जमकर बवाल हुआ था और ममता बनर्जी लगभग दो घंटे तक यहां कुर्सी डालकर बैठी रही थीं। उन्होंने आयोग को पत्र लिखकर भाजपा समर्थकों के मतदान केंद्र पर कब्जा करने का आरोप लगाया था।
ममता बनर्जी ने क्या आरोप लगाए थे?
ममता बनर्जी ने अपने शिकायत पत्र में आरोप लगाया था कि स्थानीय लोगों को सात नंबर मतदान केंद्र पर वोटिंग नहीं करने दी जा रही है और भाजपा के बाहरी लोगों ने बंदूकों और गुंडों की मदद से केंद्र पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने मामले में केंद्रीय सुरक्षा बलों की लिप्तता का भी आरोप लगाया था। ममता ने कहा था कि वह मामले में कई शिकायतें कर चुकी हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
आयोग ने कहा- ममता के आरोप गलत और आधारहीन
अब ममता के आरोपों का जवाब देते हुए चुनाव आयोग ने उन्हें पत्र लिखा है। ममता के आरोपों को तथ्यात्मक रूप से गलत और आधारहीन बताते हुए आयोग ने कहा है कि विशेष प्रेक्षकों और अधिकारियों की रिपोर्ट में न तो किसी बाहरी व्यक्ति और न ही गुंडों के बंदूकों के साथ केंद्र पर कब्जा करने का जिक्र है। आयोग ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल (BSF) जवानों के लोगों को वोटिंग करने से रोकने के आरोप भी गलत हैं।
आयोग ने ममता के आचरण पर भी खड़े किए सवाल
ममता के आचरण पर सवाल खड़े करते हुए आयोग ने कहा है कि इसमें पश्चिम बंगाल और कुछ दूसरे राज्यों की कानून व्यवस्था पर प्रतिकूल असर डालने की क्षमता है। आयोग ने लिखा है, "यह बहुत खेद का विषय है कि एक उम्मीदवार जो माननीय मुख्यमंत्री भी हैं, उनके द्वारा वोटरों को गुमराह करने के लिए घंटे दर घंटे मीडिया नैरेटिव रचा गया। यह सब कुछ तब किया गया जब चुनावी प्रकिया जारी थी। इससे बड़ा अपराध नहीं हो सकता।"
ममता के खिलाफ कार्रवाई पर भी विचार कर रहा आयोग
आयोग ने आगे कहा, "इस बात की भी समीक्षा की जा रही है कि क्या 1 अप्रैल को हुई घटना के खिलाफ जन प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 131 and 123(2) और आदर्श आचार संहिता के तहत कार्रवाई की जा सकती है।" बता दें कि जन प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 131 के तहत किसी मतदान केंद्र में या इसके आसपास अनुचित व्यवहार करने पर तीन साल की जेल और जुर्माना हो सकता है।