भाजपा सांसद प्रीतम मुंडे ने किया पहलवानों का समर्थन, बोलीं- सरकार ने ठीक से संवाद नहीं किया
पहलवानों ने यौन उत्पीड़न मामले में भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर मोर्चा खोल रखा है। भले ही मामले में केंद्र की भाजपा सरकार चुप्पी साधे हुए है, लेकिन पार्टी के अंदर अब पहलवानों के समर्थन में आवाज उठने लगी हैं। महाराष्ट्र से भाजपा सांसद मुंडे ने कहा कि सरकार ने पहलवानों से ठीक से संवाद नहीं किया और महिला होने के नाते उन्हें मामले में कार्रवाई की उम्मीद है।
प्रीतम मुंडे ने क्या-क्या कहा?
PTI के अनुसार, प्रीतम मुंडे ने कहा, "मैं भाजपा सांसद के रूप में नहीं, बल्कि एक महिला होने के नाते कहती हूं कि अगर ऐसी गंभीर शिकायत किसी महिला की ओर से आती है तो इसका संज्ञान लिया जाना चाहिए और मामले की जांच होनी चाहिए।" उन्होंने कहा, "जांच अधिकारी इसका फैसला करेंगे कि शिकायत सही है या गलत है, लेकिन मामले का संज्ञान नहीं लिया जाता है तो लोकतंत्र के लिए ये अच्छी बात नहीं है।"
सरकार को पहलवानों के आंदोलन पर ध्यान देना चाहिए- प्रीतम मुंडे
प्रीतम ने कहा, "भले ही मैं इस सरकार का हिस्सा हूं, लेकिन यह स्वीकार करना होगा कि जिस तरह से सरकार को पहलवानों से संवाद करना चाहिए था, वैसा नहीं हुआ है।" उन्होंने कहा, "भाजपा के लिए देश पहले है, फिर पार्टी और स्वयं सबसे बाद में आता है, लेकिन अंतिम होने के बाद भी हर व्यक्ति महत्वपूर्ण है। चाहे किसी भी राज्य में किसी भी पार्टी की सरकार हो, लेकिन इतने बड़े आंदोलन पर ध्यान जरूर दिया जाना चाहिए।"
क्या हैं प्रीतम मुंडे के बयान के मायने?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रीतम और पंकजा मुंडे पार्टी में अपनी उपेक्षा से नाराज चल रही है। हाल ही में पकंजा ने कहा था कि वह भाजपा की हैं, लेकिन पार्टी उनकी नहीं है। प्रीतम को केंद्र में कोई मंत्रालय नहीं मिला है, जबकि महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे की सरकार में पंकजा को भी जिम्मेदारी नहीं दी गई है। ये दोनों पूर्व केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की बेटियां हैं, जिनकी 2014 में एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।
हरियाणा के भाजपा सासंद बृजेंद्र सिंह ने भी पहलवानों का किया था समर्थन
इससे पहले हरियाणा के भाजपा सांसद बृजेंद्र सिंह ने पहलवानों की मांगों का समर्थन करते हुए उनके मेडल गंगा में बहाए जाने के फैसले को दिल तोड़ने वाला बताया था। सिंह ने कहा, "मैं महिला पहलवानों के दर्द और लाचारी को महसूस करता कर सकता हूं। ये नौबत नहीं आनी चाहिए थी कि आज पहलवान अपने जीवनभर की कड़ी मेहनत से कमाए ओलंपिक, राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों के पदकों को गंगा में बहाने को मजबूर हैं।"