
असम के पारंपरिक लोक नृत्य, जिनके बारे में जानना है जरूरी
क्या है खबर?
असम भारत का एक राज्य है, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। यहां के पारंपरिक लोक नृत्य अपनी जीवंतता और रंग-बिरंगी वेशभूषा के लिए मशहूर हैं। ये नृत्य न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि असम की संस्कृति और परंपराओं को भी दर्शाते हैं। आइए आज हम आपको असम के कुछ प्रमुख पारंपरिक लोक नृत्य के बारे में बताते हैं, जो हर साल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
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बिहू नृत्य
बिहू असम का सबसे प्रसिद्ध लोक नृत्य है, जो साल में तीन बार मनाए जाने वाले बिहू त्योहार पर प्रस्तुत किया जाता है। यह नृत्य युवाओं द्वारा किया जाता है और इसमें खेती से जुड़े गीत और संगीत शामिल होते हैं। बिहू नृत्य में तेज संगीत और ताल पर थिरकते कदम शामिल होते हैं। इसमें पारंपरिक वेशभूषा पहनकर लोग झुमता, गुमता और ढोल की थाप पर नाचते हैं। यह नृत्य असम की खुशियों और उत्साह को दर्शाता है।
#2
बागुरुंबा
बागुरुंबा असम का एक अन्य लोकप्रिय लोक नृत्य है, जो मुख्य रूप से बोडो जनजाति द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। इस नृत्य में लोग मोर की तरह कपड़े पहनकर नाचते हैं और अपनी कलाबाजी से दर्शकों का मन मोह लेते हैं। बागुरुंबा नृत्य में रंग-बिरंगी पोशाकें, मोर पंख और ढोल की थाप होती है। यह नृत्य असम की ग्रामीण संस्कृति और परंपराओं को दर्शाता है, जिससे लोग बहुत प्रभावित होते हैं।
#3
धुलिया
धुलिया असम की एक अनोखी परंपरा है, जो मुख्य रूप से सगौटी जनजाति द्वारा किया जाता है। इस नृत्य में कलाकार मिट्टी से बने ढोलों का उपयोग करते हैं, जिन्हें वे अपने सिर पर रखकर नाचते हैं। धुलिया नृत्य में महिलाएं भी भाग लेती हैं, जो पारंपरिक कपड़े पहनकर प्रस्तुति देती हैं। यह नृत्य असम की ग्रामीण जीवनशैली को दर्शाता है और इसमें स्थानीय गीत-संगीत का उपयोग किया जाता है।
#4
अली आई लिगांग
अली आई लिगांग असम का एक प्रमुख पारंपरिक लोक नृत्य है, जो मुख्य रूप से मिकिर जनजाति द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। इस नृत्य में कलाकार अपनी संस्कृति, परंपराओं और जीवनशैली को दर्शाते हुए प्रस्तुति देते हैं। अली आई लिगांग में महिलाएं भी भाग लेती हैं, जो पारंपरिक कपड़े पहनकर प्रस्तुति देती हैं। यह नृत्य असम की ग्रामीण जीवनशैली को दर्शाता है और इसमें स्थानीय गीत-संगीत का उपयोग किया जाता है।