शिशु को नहलाते समय इन बातों का रखें खास ध्यान
शिशु बेहद ही कोमल और नाजुक होते हैं और उनकी परवरिश करना कोई आसान काम नहीं है। शिशु को कैसे सुलाना चाहिए, कैसे पकड़ना चाहिए, कैसे उठाना चाहिए या कैसे नहलाना चाहिए आदि बातें किसी पहेली से कम नहीं होती हैं और इस दौरान कई बातों का ध्यान रखना होता है। चलिए फिर आज हम आपको बताते हैं कि शिशु को कैसे नहलाना चाहिए और ऐसा करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
शिशु को नहलाने का समय
नहाना शिशु की दिनचर्या का एक अहम हिस्सा होता है, इसलिए उसे किस समय नहलाना है, इस बात का खास ध्यान रखें। शिशु को नहलाने के लिए ऐसा समय चुनें, जब आप इसे पूरा समय दे पाएं। इसके अलावा शिशु को सर्दियों में धूप में नहलाना अच्छा रहेगा, जबकि गर्मियों में उसे दो-तीन बार किसी भी समय नहलाएं। हालांकि अगर शिशु की त्वचा अधिक रुखी या संवेदनशील हो तो उसे एक दिन छोड़कर ही नहलाएं।
जरूरत का सामान अपने पास ही रखें
इससे हमारा मतलब यह है कि शिशु को नहलाने से पहले उसके स्नान से जुड़ी सभी चीजों को अपने पास इकट्ठा कर लें ताकि आपको बार-बार उठकर सामान लेने न जाना पड़े। उदाहरण के लिए शिशु को नहलाते वक्त बेबी साबुन, बेबी शैंपू, बाथटब, मग, कपड़े और तौलिया आदि चीजों को अपने पास ही रखें। अगर शिशु बहुत छोटा है तो उसे नहलाने के लिए घर के किसी अन्य सदस्य की मदद लें।
पानी के तापमान पर भी दें ध्यान
जिस पानी से शिशु को नहलाया जाना है, उसके तापमान पर भी ध्यान देना बेहद जरूरी है। यह पानी न तो अधिक गर्म होना चाहिए और न ही अधिक ठंडा और इसे गुनगुना रखें। आजकल बाजार में पानी का तापमान मापने के लिए बाथ थर्मामीटर उपलब्ध हैं जिनसे आप पानी का तापमान माप सकते हैं। हालांकि अगर आपके पास यह थर्मामीटर नहीं है तो भी आप कोहनी से पानी का तापमान माप सकती हैं।
नहलाने का तरीका
आमतौर पर शिशु को नहलाने के लिए बाथटब का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसमें शिशु को नहलाते समय कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए। उदाहरण के लिए शिशु को बाथटब में रखते वक्त उसे अच्छे से पकडें क्योंकि उसके फिसलने का डर रहता है। इसके अलावा शिशु के सिर को भी सहारा देना बहुत जरूरी है। इन्हीं कारणों से कई घरों में मांएं आज भी शिशुओं को अपने पैरों पर बैठाकर नहलाती हैं।