सर्वांगासन: स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है इस योगासन का अभ्यास, जानिए इससे जुड़ी अहम बातें
व्यस्त जीवनशैली के चलते बहुत से लोगों के लिए स्वास्थ्य का ख्याल रखना थोड़ा मुश्किल हो गया है। ऐसे में योग अपनाकर थोड़े समय में ज्यादा स्वास्थ्य लाभ उठाए जा सकते हैं। दरअसल योग के अंतर्गत ऐसे कई प्राणायाम और आसन हैं, जिनके अनगिनत फायदे हैं। ऐसा ही एक आसन है सर्वांगासन। इस योगासन को नियमित रूप से करने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है। चलिए फिर जानते हैं सर्वांगासन से जुड़ी अहम बातें।
सर्वांगासन करने का तरीका
सबसे पहले योग मैट पर पीठ के बल लेटकर दोनों हाथों को शरीर से सटाकर सीधा कर लें। अब सामान्य रूप से सांस लेते हुए पैरों, कूल्हों और कमर को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं। साथ ही हाथों से कमर को सहारा देते हुए कोहनियों को जमीन से सटा लें। कुछ देर इसी मुद्रा में रहें और धीरे-धीरे वापस अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं। नियमित रूप से इस योगासन का कुछ मिनट अभ्यास जरूर करें।
सर्वांगासन के अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
1) अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर या हृदय से जुड़ी कोई समस्या है तो आपको इस योगासन का अभ्यास करने से बचना चाहिए। 2) 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और गर्भवती महिलाओं को भी इस योगासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। 3) 3) अगर कंधे, भुजाओं, कमर, सिर, पेट या गर्दन में दर्द हो तो भी इस योगासन का अभ्यास करने से बचें। साथ ही रीढ़ की हड्डी की समस्या वाले भी इसका अभ्यास न करें।
सर्वांगासन के नियमित अभ्यास से मिलने वाले फायदे
अगर आप नियमित तौर पर सर्वांगासन का अभ्यास करते हैं तो इससे आपके स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए इसके अभ्यास से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है और मेटाबॉलिज्म को आराम मिलता है जिससे इसकी कार्यक्षमता बेहतर होती है। इसके अतिरिक्त यह श्वसन प्रक्रिया के लिए भी लाभदायक है। बात अगर इसके अभ्यास से मिलने वाले मानसिक फायदों की करें तो यह दिमाग को शांत और तनाव से निजात दिलाने में सहायक हो सकता है।
सर्वांगासन का अभ्यास करने से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण टिप्स
1) अगर आप इस योगासन का अभ्यास पहली बार करने जा रहे हैं तो विशेषज्ञ की निगरानी में करें। 2) इस योगासन की शुरुआत में संतुलन बनाना मुश्किल हो सकता है, इसलिए दीवार का सहारा लें। 3) अभ्यास के दौरान शरीर का पूरा भार सिर्फ कंधे पर न डालें बल्कि बाहों और हथेलियों पर भी रखें। 4) इस मुद्रा से सामान्य अवस्था में धीरे-धीरे आएं ताकि गले में झटका न लगे। 5) इसका अभ्यास सुबह खाली पेट करें।