
यूरोप में शोर बना गंभीर स्वास्थ्य खतरा, ध्वनि प्रदूषण से लाखों लोगों को हो रहा नुकसान
क्या है खबर?
यूरोप के लिए ध्वनि प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है। यूरोपीय पर्यावरण एजेंसी (EEA) की रिपोर्ट के अनुसार, 11 करोड़ से ज्यादा लोग हानिकारक शोर से प्रभावित हैं। हर साल इससे करीब 66,000 असमय मौतें होती हैं और लाखों लोग स्वास्थ्य परेशानियों का सामना करते हैं। रिपोर्ट में पाया गया कि हृदय रोग, मधुमेह और मानसिक तनाव जैसे रोगों का खतरा लगातार बढ़ रहा है और यह समस्या कई बच्चों को भी गहराई से प्रभावित कर रही है।
प्रभावित
ध्वनि प्रदूषण से बच्चे और बुजुर्ग ज्यादा प्रभावित
रिपोर्ट के मुताबिक, 1.7 करोड़ लोग लंबे समय तक तेज शोर से परेशान हैं और 50 लाख लोग नींद की समस्या से जूझ रहे हैं। 1.5 करोड़ बच्चे ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं, जहां शोर लगातार बना रहता है। EEA के अनुसार, शोर के कारण होने वाले स्वास्थ्य प्रभाव सेकेंड हैंड धुएं और सीसे से भी ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं। इससे हर साल करीब 100 अरब यूरो (लगभग 10,000 अरब रुपये) की लागत आती है।
शोर
सबसे ज्यादा असर सड़क और रेलवे शोर से
यूरोप में 9.2 करोड़ लोग सड़क के शोर, 1.8 करोड़ रेलवे शोर और 26 लाख विमान शोर से प्रभावित हैं। शोध में कहा गया कि 2017 से 2022 तक सिर्फ 3 प्रतिशत सुधार हुआ है। बिना ठोस उपायों के 2030 तक शोर प्रदूषण 30 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि शोर को सामान्य परेशानी मानना गलत है, यह जीवनशैली पर गहरा असर डाल रहा है।
उपाय
शोर कम करने के उपाय सुझाए गए
शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि कम आवाज वाले टायर, स्पीड लिमिट, बेहतर रेलवे ट्रैक और शांत विमान शोर को काफी हद तक कम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक गाड़ियां इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं हैं, क्योंकि शोर का मुख्य कारण टायर और सड़क का संपर्क है, न कि इंजन। EEA ने चेताया कि बच्चों पर इसका असर सबसे ज्यादा पड़ता है और सभी देशों को तुरंत ठोस और प्रभावी कदम उठाने चाहिए।