अस्थमा के इलाज की नई विधि का चला पता, लाखों लोगों की बचाई जा सकेगी जान
डॉक्टरों ने अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीस (COPD) के इलाज में एक नई विधि को बड़ा बदलाव बताया है। एक परीक्षण में पाया गया कि इंजेक्शन स्टेरॉयड टैबलेट से ज्यादा असरदार है और इलाज की जरूरत को 30 प्रतिशत तक घटा देता है। इसे 50 सालों में पहली बड़ी सफलता माना जा रहा है। लंदन स्थित लैंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन जर्नल के मैगजीन में प्रकाशित इस शोध से दुनियाभर में अस्थमा के लाखों मरीजों को फायदा हो सकता है।
लाखों लोगों की जान बचा सकती है यह विधि
बेनरलिजुमाब दवा अस्थमा और COPD के इलाज में मदद करती है। यह फेफड़ों की सूजन कम करने के लिए रक्त कोशिकाओं पर काम करती है। किंग्स कॉलेज लंदन के प्रोफेसर मोना बाफडेल के मुताबिक, यह इलाज में 'गेमचेंजर' हो सकती है। यह दवा गंभीर अस्थमा के लिए पहले से इस्तेमाल हो रही, लेकिन शोध में पता चला कि शुरू में एक खुराक लेना स्टेरॉयड टैबलेट से ज्यादा असरदार है। यह लाखों लोगों की जान बचाने में मदद कर सकती है।
इतने लोगों को परीक्षण में किया गया शामिल
परीक्षण में 158 मरीजों को शामिल किया गया, जिन्हें इलाज की जरूरत थी। उन्हें खून की जांच कर यह देखा गया कि वे किस प्रकार के दौरे से पीड़ित हैं। एक समूह को बेनरलिज़ुमैब इंजेक्शन और डमी टैबलेट दिए गए, दूसरे को स्टेरॉयड और डमी इंजेक्शन और तीसरे को दोनों दवाइयां दी गईं। 28 दिन बाद, बेनरलिजुमैब लेने वालों में लक्षण बेहतर पाए गए और 90 दिन बाद, स्टेरॉयड लेने वालों से 4 गुना कम लोग इलाज में असफल रहे।
दुष्प्रभाव का खतरा भी होगा कम
वैज्ञानिकों ने कहा कि स्टेरॉयड के गंभीर दुष्प्रभाव, जैसे मधुमेह और हड्डियों की कमजोरी हो सकती है। ऐसे में बेनरलिजुमैब का इस्तेमाल फायदेमंद होगा। यह दवा घर पर या डॉक्टर के पास भी दी जा सकती है। अध्ययन के प्रमुख डॉ. संजय रामकृष्णन ने कहा कि यह दवा अस्थमा और COPD के इलाज में बड़ी उम्मीद दिखाती है। डॉ. सामंथा वॉकर ने निष्कर्षों का स्वागत किया, लेकिन कहा कि फेफड़ों के इलाज के लिए रिसर्च को पर्याप्त धन नहीं मिलता।