नए DNA परीक्षण से चला कैंसर रोगियों में कीमोथेरेपी प्रतिरोध का पता, अध्ययन में खुलासा
क्या है खबर?
कैंसर एक खतरनाक बीमारी है, जिसमें शरीर की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। अब तक इस बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं खोजा गया है, लेकिन कीमोथेरेपी की मदद से इसके जोखिम को कम किया जा सकता है। इसी कड़ी में एक नया अध्ययन हुआ है, जिसके जरिए एक खास तरह का DNA परीक्षण तैयार किया गया है। इसकी मदद से कैंसर रोगियों में कीमोथेरेपी प्रतिरोध का पता लगाया जा सकता है।
अध्ययन
कई संस्थाओं ने मिलकर किया यह अध्ययन
इस अध्ययन को पूरा करने के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने स्पेनिश राष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान केंद्र (CNIO) और कैम्ब्रिज स्थित स्टार्टअप टेलर बायो के साथ मिलकर काम किया है। इसके लिए कैंसर रिसर्च यूनाइटेड किंगडम (UK) ने आर्थिक सहायता प्रदान की थी। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा परीक्षण विकसित किया है, जो सफलतापूर्वक यह भविष्यवाणी कर सकता है कि कैंसर कीमोथेरेपी उपचार का प्रतिरोध कर पाएगा या नहीं। आइए इस परीक्षण को विस्तार से समझते हैं।
परीक्षण
किस तरह काम करता है यह परीक्षण?
यह परीक्षण कैंसर के अंदर DNA की प्रतियों के क्रम, संरचना और संख्या में परिवर्तन को देखकर काम करता है। इसे क्रोमोसोमल अस्थिरता (CIN) हस्ताक्षर के रूप में जाना जाता है। ये हस्ताक्षर ट्यूमर के पहले DNA अनुक्रम को पढ़कर और विघटन के पैटर्न की तलाश करके पाए जाते हैं। परीक्षण से 3 सामान्य प्रकार की कीमोथेरेपी के उपचार के प्रति प्रतिरोध का सटीक अनुमान लगाया जा सकता है। इनमें प्लैटिनम-आधारित, एन्थ्रासाइक्लिन और टैक्सेन कीमोथेरेपी शामिल हैं।
प्रक्रिया
840 रोगियों ने लिया इस अध्ययन में भाग
अध्ययन के लिए विभिन्न प्रकार के कैंसर से पीड़ित 840 रोगियों के डाटा का उपयोग किया गया था। इसके जरिए रोगियों को 'कीमोथेरेपी प्रतिरोधी' या 'कीमोथेरेपी संवेदनशील' के रूप में वर्गीकृत किया गया था। इसके बाद उन्हें एक अलग प्रकार के कीमोथेरेपी उपचार के लिए भेजा गया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उपचार को काम करना बंद करने में कितना समय लगा। इसके जरिए कीमोथेरेपी के प्रति रोगियों की प्रतिक्रियाओं की भविष्यवाणी करना आसान हो गया।
नतीजे
क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे?
अध्ययन में पाया गया कि जिन रोगियों में टैक्सेन कीमोथेरेपी के प्रति प्रतिरोध की भविष्यवाणी की गई थी, उनमें डिम्बग्रंथि मेटास्टेटिक स्तन और मेटास्टेटिक प्रोस्टेट कैंसर का उपचार होना मुश्किल था। एंथ्रासाइक्लिन कीमोथेरेपी के प्रति प्रतिरोध की भविष्यवाणी वाले रोगियों में डिम्बग्रंथि और मेटास्टेटिक स्तन कैंसर का इलाज कठिन था। वहीं, जिन रोगियों में प्लैटिनम कीमोथेरेपी के प्रति प्रतिरोध की भविष्यवाणी की गई थी, उनमें डिम्बग्रंथि कैंसर के लिए उपचार विफलता दर अधिक थी।
कीमोथेरेपी
कीमोथेरेपी के होते हैं कई दुष्प्रभाव
कीमोथेरेपी कैंसर का एक प्रभावी उपचार है, लेकिन यह कैंसर कोशिकाओं के साथ-साथ स्वस्थ कोशिकाओं के लिए भी विषाक्त हो सकता है। इसके कई दुष्प्रभाव भी देखे जाते हैं। हालांकि, वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस परीक्षण का उपयोग निदान के समय यह अनुमान लगाने के लिए किया जा सकेगा कि हर प्रकार की कीमोथेरेपी विभिन्न प्रकार के कैंसर के खिलाफ कितनी कारगर होगी। इससे वे मरीजों का बेहतर तरीके से इलाज कर सकेंगे।