एशिया के सबसे लंबे दांत वाले हाथी 'भोगेश्वर' का निधन
एशिया के सबसे लंबे दांत वाला हाथी 'भोगेश्वर' कर्नाटक के बांदीपुर टाइगर रिजर्व के गुंद्रे रेंज में शनिवार को मृत पाया गया। उसकी मौत का कारण बढ़ती उम्र बताई गई है। 58 वर्षीय भोगेश्वर को श्री काबिनी के नाम से भी जाना जाता था और वह अपने लंबे दांतों की वजह से भारत समेत दुनियाभर में मशहूर था। इस हाथी की अचानक मृत्यु से लोगों को बहुत दुख हुआ है और सोशल मीडिया पर लोग सांत्वना व्यक्त कर रहे हैं।
लोगों ने दुख व्यक्त करने के लिए सोशल मीडिया का लिया सहारा
कई लोगों ने सोशल मीडिया जरिए भोगेश्वर के निधन पर दुख व्यक्त किया है। वाइल्डलाइफ कर्नाटक के फिल्म निर्माता कल्याण वर्मा ने ट्विटर पर लिखा, 'सबसे बड़े दांतों वाला एशियाई हाथी आज काबिनी में मर गया। मैं छह साल से उसे फॉलो कर रहा था और उसे बहुत याद करूंगा।' फोटोग्राफर GS रविशंकर ने ट्वीट किया, 'भोगेश्वर का अपना आकर्षण था। इसकी मृत्यु के बारे में जानकर दुख हुआ।'
एक हफ्ते से भोगेश्वर की खराब थी तबीयत
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, भोगेश्वर का लगभग तीन दिन पहले ही निधन हो गया था और उसका शव बांदीपुर टाइगर रिजर्व के तहत गुंद्रे रेंज में सुथानहल्ला के पास मिला था। उन्होंने यह भी पुष्टि की कि चोट के कोई निशान नहीं थे और बढ़ती उम्र के जोखिमों के कारण उसका निधन हो गया। एक अन्य हाथी से लड़ाई के बाद उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई थी।
भोगेश्वर को बढ़ती उम्र से जुड़ी दिक्कतें थीं- बांदीपुर टाइगर रिजर्व के निदेशक
बांदीपुर टाइगर रिजर्व के निदेशक रमेश कुमार के अनुसार, जैसे-जैसे हाथियों की उम्र बढ़ती है उनके दांत खराब होने लगते हैं, जिससे उनकी चबाने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे उन्हें भूखमरी हो जाती है और भोगेश्वर के साथ भी ऐसा ही हुआ था।
मैसूर भेजे गए भोगेश्वर के दांत
भोगेश्वर का पोस्टमॉर्टम किया गया। इसके बाद उसके दांतों को सुरक्षित रूप से हटा दिया गया और मैसूर के अरण्य भवन में भेज दिया गया, जहां उन्हें प्रदर्शित करने की योजना है। वहीं, उसके शव को प्राकृतिक सड़न के लिए खुले में छोड़ दिया गया। शव को जलाने की पहले की प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया गया था क्योंकि यह गिद्धों और लकड़बग्घे जैसे जानवरों और पक्षियों को उनके भोजन से वंचित कर देता था।
भोगेश्वर से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
भोगेश्वर के बहुत लंबे दांत थे, जो उसे दुर्लभ और विशेष बनाते थे। आमतौर पर एशियाई हाथियों के दांत तीन-चार फीट के बीच होते हैं, लेकिन भोगेश्वर का एक दांत 2.34 मीटर और दूसरा 2.54 मीटर का है। उसके लंबे दांत अक्सर उसके लिए भोजन को चरना या गर्दन को मोड़ना मुश्किल बना देते थे। भोगेश्वर को विभिन्न वन्यजीव फिल्मों और डॉक्यूमेंट्री में भी दिखाया गया है।
बहुत सौम्य और शांत स्वभाव का था भोगेश्वर
भोगेश्वर को ज्यादातर भोगेश्वर मंदिर के पास घूमता हुआ पाया जाता था, इसलिए उसका नाम भोगेश्वर ही रख दिया गया। वह कुप्पे रेंज और वन्यजीव फोटोग्राफरों के बीच बेहद लोकप्रिय था। यह हाथी अक्सर सफारी मार्ग पर वाहनों सामने आता था और अपने अनोखे लंबे दांतों से पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता था। वह बहुत ही सौम्य, शांत और मिलनसार स्वभाव का था। यह कभी भी लोगों पर हमला नहीं करता था और न ही वाहनों को नुकसान पहुंचाता था।