हर गर्भवती महिला को पता होने चाहिए गर्भावस्था से जुड़े ये भ्रम और उनकी सच्चाई
हर गर्भवती महिला को अपने होने वाले बच्चे को लेकर कई चीजें जानने की इच्छा होती है। आधुनिक महिलाएं इसके लिए इंटरनेट पर काफी रिसर्च भी करती हैं, लेकिन रिसर्च के दौरान वह कई ऐसी बातों का सच मान बैठती हैं जो गलत और भ्रामक होती हैं। चलिए फिर आज हम आपको गर्भावस्था कुछ ऐसे सामान्य भ्रम और उनकी सच्चाई बताते हैं जिनके बारे में हर गर्भवती महिला को पता होना चाहिए।
भ्रम- पेट का साइज और शेप बताता है कि लड़का होगा या लड़की
कई लोगों का ऐसा मानना है कि गर्भवती महिला के पेट का साइज और शेप देखकर इस बात का पता लगाया जा सकता है कि उसका होने वाला बच्चा लड़का होगा या लड़की, लेकिन यह सिर्फ एक गलत धारणा के अलावा और कुछ नहीं है। दरअसल, गर्भवस्था के दौरान पेट के साइज और शेप से केवल भ्रूण के आकार और गर्भ की स्थिति के बारे में ही पता चलता है। बेहतर होगा कि गर्भवती महिलाएं इस पर विश्वास न करें।
भ्रम- ज्यादा अल्ट्रासाउंड होने वाले बच्चे के लिए सुरक्षित नहीं होते हैं
यह भी सिर्फ एक भ्रम है कि बहुत ज्यादा अल्ट्रासाउंड बच्चे के लिए सुरक्षित नहीं होते हैं। दरअसल, अल्ट्रासाउंड दो तरीके के होते हैं, एक जांच करने वाला और दूसरा ट्रीटमेंट वाला। गर्भावस्था के दौरान जांच करने वाले अल्ट्रासाउंड से गर्भ की स्थिति का पता चलता है, इसलिए इस तरह के अल्ट्रासाउंड से मां या बच्चे की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता है। दूसरे तरह के अल्ट्रासाउंड के दौरान तेज रेडिएशन का इस्तेमाल किया जाता है। इससे बचें।
भ्रम- गर्भवती महिला को पेट के बल नहीं सोना चाहिए
शायद यह सबसे आम भ्रम है कि गर्भवती महिलाओं को पेट के बल नहीं सोना चाहिए क्योंकि इससे होने वाले बच्चे पर नकारात्मक असर पड़ता है, हालांकि यह सच नहीं है। दरअसल, बच्चा मस्कुलर यूटरस के अंदर गहराई में छिपा होता है और यहां सुरक्षित होता है, इसलिए एक गर्भवती महिला पेट के बल सो सकती है। वैसे गर्भवती महिला को उल्टे हाथ पर सोना चाहिए क्योंकि इससे होने वाले बच्चे के दिमाग तक बेहतर तरीके से खून पहुंचता है।
भ्रम- गर्भवस्था के दौरान दो लोगों के हिसाब से डाइट होनी चाहिए
कई गर्भवती महिलाएं इस बात को सच मानती हैं कि गर्भवस्था के दौरान दो लोगों के हिसाब से डाइट लेनी चाहिए, लेकिन ऐसा करना गलती है और ऐसा करके वे अपने खाने में कैलोरी की मात्रा बढ़ा देती हैं। विशेषज्ञों की मानें तो गर्भवती महिला को अपने खाने में लगभग 250 अतिरिक्त कैलोरी की आवश्यकता होती है। अगर कोई गर्भवती कम कैलोरी लेती है तो हर तिमाही के दौरान इसे बढ़ाना चाहिए।