अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: भारत की वो 5 होनहार महिलाएं, जिन्होंने रूढ़िवादी धारणा को तोड़कर इतिहास रचा
क्या है खबर?
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है, जो महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए मनता है।
यह दिन महिलाओं की उपलब्धियों, अधिकारों और समानता का सम्मान करने के लिए समर्पित है। भारत में ऐसी कई होनहार महिलाएं हुईं, जिन्होनें अपनी लगन और जज्बे के जरिए रूढ़िवादिता को तोड़ा।
इन महिलाओं ने संघर्ष किया, अलग-अलग क्षेत्रों में इतिहास रचा और सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनीं।
आइए ऐसी ही दमदार और साहसी महिलाओं की कहानी जानते हैं।
#1
सावित्रीबाई फुले
सावित्रीबाई फुले को भारतीय नारीवाद की जननी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान दिए।
जिस जमाने में महिलाओं को घर की चारदीवारी से निकलने की इजाजत नहीं थी, उस समय वह देश की पहली महिला शिक्षिका बनीं।
9 साल की उम्र में शादी होने के बाद उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर समाज सुधार के लिए कई काम किए। उन्होंने विधवाओं के हक के लिए लड़ाई लड़ी और जाति-पाति व छुआछूत के खिलाफ आवाज उठाई।
#2
न्यायमूर्ति एम फातिमा बीबी
फातिमा बीबी 1989 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने वाली पहली महिला थीं।
देश की शीर्ष अदालत में नियुक्त होने के बाद न्यायमूर्ति एम. फातिमा बीवी ने अपने निर्णयों से न केवल न्यायपालिका की गरिमा बढ़ाई, बल्कि महिलाओं को कानूनी पेशे में आगे बढ़ने का रास्ता भी दिखाया।
उन्हें पद्म भूषण और भारत ज्योति जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित भी किया जा चुका है।
#3
डॉक्टर रखमाबाई राउत
डॉक्टर रखमाबाई राउत ने रूढ़िवादी सोच को चुनौती दी और भारत की पहली महिला डॉक्टर बनीं।
उनकी मां ने महज 11 साल की उम्र में उनकी शादी करवा दी थी, लेकिन उन्होंने 22 की आयु में तलाक के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी।
उन्होंने जबरदस्ती की शादी में रहने के बजाय जेल जाना बेहतर समझा था। वह भारत की शुरुआती नारीवादियों में से एक थीं, जिन्होनें 1891 में महिलाओं के लिए सहमति की आयु बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
#4
किरण बेदी
किरण बेदी भारत की पहली महिला IPS अधिकारी थी, जिन्होनें 35 साल तक इस पद को संभाला। उन्होंने साल 2007 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी।
वह संयुक्त राष्ट्र सिविल पुलिस सलाहकार के रूप में सेवा करने वाली पहली भारतीय महिला भी रह चुकी हैं। काफी कम लोग यह बात जानते हैं की वह IPS बनने से पहले टेनिस खिलाड़ी भी रह चुकी हैं।
साथ ही, वह पुडुचेरी की 24वीं उप राज्यपाल भी रह चुकी हैं।
#5
रीता फारिया पॉवेल
फैशन जगत में भारत का नाम गर्व से ऊंचा करने वालीं रीता फारिया पॉवेल ने 1966 में मिस वर्ल्ड का ताज पहना था। वह इस खिताब को जीतने वाली पहली भारतीय महिला थीं।
साथ ही वह मिस वर्ल्ड बनने वाली एशिया की पहली महिला भी थीं। केवल उनकी सुंदरता ही उनकी सबसे बड़ी ताकत नहीं थी, बल्कि वह पेशे से एक डॉक्टर भी थीं।
वह मेडिकल डॉक्टर बनने वाली पहली मिस वर्ल्ड विजेता हैं।