बच्चों को गले लगाने से सुधर सकता है उनका भविष्य, अध्ययन में सामने आए कारण
क्या है खबर?
बचपन में बच्चों के साथ जिस तरह का व्यवहार किया जाता है, आगे चलकर उसी से उनका व्यक्तित्व तय होता है। जो बच्चे प्यार और स्नेह के बीच बड़े होते हैं, वे अधिक खुशमिजाज होते हैं।
वहीं, जिन बच्चों के माता-पिता का बर्ताव सख्त होता है, वे चिड़चिड़े और गुस्से वाले बन जाते हैं।
अब एक नए अध्ययन के जरिए खुलासा हुआ है कि जिन बच्चों की मां उन्हें बचपन में ज्यादा गले लगाती हैं, वे ज्यादा जिम्मेदार होते हैं।
अध्ययन
जुड़वा बच्चों पर किया गया यह अध्ययन
अमेरिकन जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन को यूनाइटेड किंगडम (UK) में पूरा किया गया था। इसके लिए शोधकर्ताओं ने 2,232 जुड़वां बच्चों पर प्रयोग किया था।
इन बच्चों पर जन्म से लेकर 18 साल की आयु तक नजर रखी गई थी। इसका कारण यह था कि एक जैसे दिखने वाले जुड़वा बच्चों का केवल DNA ही नहीं, बल्कि व्यवहार भी समान होता है।
उनके बीच फर्क सिर्फ इतना था कि उन्हें अपनी मां से कितना स्नेह मिलता था।
नतीजे
स्नेह पाकर बड़े हुए बच्चे होते हैं अधिक खुशहाल
शोध से पता चला कि जिन जुड़वा बच्चों को ज्यादा गले लगाया गया, वे बड़े हो कर दयालु, देखभाल करने वाले, व्यवस्थित और विश्वसनीय बने।
ऐसे बच्चे जिंदगी में ज्यादा खुश रहते हैं और लोगों से रिश्ते भी बना पाते हैं। स्नेह पाकर बड़े होने वाले बच्चों के रिश्ते मजबूत होते हैं और उन्हें बेहतर नौकरियां भी मिल जाती हैं।
इसका कारण है कि वे औरों से बात करना, रिश्ते बनाना और अच्छा व्यवहार करना सीख जाते हैं।
लक्षण
मां का गले लगाना बच्चों में लाता है ये गुण
इस अध्ययन के लेखक जैस्मीन वर्ट्ज ने कहा, "हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि बचपन में सकारात्मक वातावरण को बढ़ावा देने से बच्चों के विकास पर महत्वपूर्ण और स्थायी प्रभाव पड़ सकता है।"
अध्ययन में पाया गया कि मां के प्रेम से बच्चों में ज्यादा खुलापन, कर्तव्यनिष्ठा और सहमति आती है। खुलापन रचनात्मकता से संबंधित है, कर्तव्यनिष्ठा जिम्मेदारी से संबंधित है और सहमति सहयोग और सहानुभूति से संबंधित है।
ये गुण शैक्षिक उपलब्धि और कैरियर की सफलता को प्रभावित करते हैं।
बदलाव
कुछ लक्षणों में नहीं आया कोई खास बदलाव
शोधकर्ताओं ने अध्ययन के बाद पाया कि मां के स्नेह के जरिए सभी लक्षणों में बदलाव नहीं आते हैं। बचपन में गले लगाने से बच्चों की सामाजिकता या भावनात्मक स्थिरता में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आया था।
इससे पता चलता है कि ये गुण जेनेटिक कारकों द्वारा निर्धारित हो सकते हैं, न की मां और बच्चे के रिश्ते के जरिए।
शोधकर्ताओं ने यह भी सुनिश्चित किया कि बच्चों का व्यक्तित्व उनके माता-पिता के उनके साथ व्यवहार को प्रभावित न करे।