हर्ड इम्युनिटी से कोरोना महामारी को हराने की राह में क्या चुनौतियां हैं?
क्या है खबर?
कुछ लोगों का मानना है कि 'हर्ड इम्युनिटी' के सहारे कोरोना वायरस महामारी को खत्म किया जा सकता है। अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो इस पर दोबारा विचार करने की जरूरत है।
दरअसल, वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना महामारी के मामले में हर्ड इम्युनिटी आने के बाद जा भी सकती है और ऐसा भी संभव है कि दुनिया कभी हर्ड इम्युनिटी के स्तर तक पहुंच ही न पाए।
आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
जानकारी
क्या होती है हर्ड इम्युनिटी?
हर्ड इम्युनिटी का मतलब किसी समाज या समूह के अधिकतर लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के माध्यम से किसी संक्रामक रोग के प्रसार को रोकना होता है।
यह संक्रमण के प्रसार के क्रम को तोड़ने में मदद करती है।
उदाहरण के तौर पर यदि 80 प्रतिशत आबादी में रोग प्रतिरोधक क्षमता है तो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले पांच लोगों में से चार बीमार नहीं पड़ेंगे और बीमारी का आगे प्रसार नहीं हो सकेगा।
संक्रमण से सुरक्षा
हर्ड इम्युनिटी तक कब पहुंचा जा सकता है?
अमेरिका के जाने-माने महामारी विशेषज्ञ डॉ एंथनी फाउची का मानना है कि अगर 70-85 फीसदी आबादी में महामारी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो जाए तो हर्ड इम्युनिटी तक पहुंचा जा सकता है।
कुछ दूसरे विशेषज्ञ 85-90 फीसदी आबादी का आंकड़ा लेकर चलते हैं। ये रोग प्रतिरोधक क्षमता महामारी से ठीक होकर या वैक्सीन के सहारे भी हासिल की जा सकती है।
इसलिए इनका मानना है कि अधिक से अधिक वैक्सीनेशन के सहारे इस दिशा में बढ़ा जा सकता है।
चुनौतियां
हर्ड इम्युनिटी की राह में ये चुनौतियां
अभी दुनियाभर में 18 साल से कम उम्र के नौजवानों और बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन नहीं बनी है।
ऐसे में अगर दुनिया की अधिकतर व्यस्क आबादी को वैक्सीन लग जाती है तो इन लोगों के संक्रमित होने का खतरा बना रहेगा।
इसके अलावा एक और चुनौती वैक्सीन का विरोध करने वाले लोग भी हैं। अगर बड़ी मात्रा में लोग वैक्सीन नहीं लेंगे तो वायरस के पास आगे फैलने के पर्याप्त मौके होंगे।
असर
मौसम से भी प्रभावित होती है हर्ड इम्युनिटी
CNN से बात करते हुए वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉ क्रिस्टोफर मरे ने बताया कि मौसम का भी हर्ड इम्युनिटी पर असर पड़ता है। कई जगहों पर गर्मियों की तुलना में सर्दियों में अधिक लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं।
उनके अनुसार, अगर गर्मियों में 55-60 फीसदी लोग भी महामारी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं हर्ड इम्युनिटी की तरफ बढ़ा जा सकता है, लेकिन सर्दियों के लिए यह संख्या 80 फीसदी तक होनी चाहिए।
चुनौती
वायरस के नए वेरिएंट का खतरा बरकरार
पिछले कुछ दिनों में कोरोना के कई नए वेरिएंट्स सामने आए हैं और आने वाले दिनों में और नए वेरिएंट्स से इनकार नहीं किया जा सकता।
दरअसल, वायरस का फैलना जारी है। यह जब तक फैलता रहेगा, तब तक इसमें म्यूटेशन की संभावना बनी हुई है।
अगर वायरस में अधिक म्यूटेशन होते हैं तो एक नया और खतरनाक वेरिएंट दुनिया के सामने आ सकता है, जो हर्ड इम्युनिटी के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।
चुनौती
यात्रा प्रतिबंध हटने से भी हर्ड इम्युनिटी को खतरा
अगर कोई देश हर्ड इम्युनिटी के स्तर तक पहुंच जाता है तो भी वहां के लोगों के पूरी तरह सुरक्षित रहने की आसार कम है।
इसकी वजह यह है कि यात्रा प्रतिबंध हटने के बाद विदेशी लोगों की आवाजाही बढ़ेगी और इससे अगर कोई खतरनाक या नया वेरिएंट पहुंचता है तो यह बाकी लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है।
इसलिए किसी देश में हर्ड इम्युनिटी होने और बने रहने के लिए वैश्विक स्तर पर ऐसा होना जरूरी है।
चिंता
समय के साथ कमजोर हो रही है इम्युनिटी
वैक्सीनेशन या संक्रमण से ठीक होने के कारण बनी रोग प्रतिरोधक क्षमता समय के साथ कमजोर होती जाती है।
कोरोना से ठीक होने वाले लोगों में कुछ समय बाद एंटीबॉडीज का स्तर कम पाया गया है। वहीं वैक्सीन को लेकर अभी तक ऐसे आंकड़ें मौजूद नहीं हैं, जिनसे यह पता चल सके कि कोई व्यक्ति कितने समय तक संक्रमण से सुरक्षित रहेगा।
इसलिए जानकारों का मानना है कि लोगों को कुछ-कुछ समय बाद वैक्सीन लेते रहना होगा।
बड़ा सवाल
...तो फिर महामारी को कैसे हराया जाएगा?
विशेषज्ञों का कहना है कि इस सवाल का जवाब वैक्सीनेशन है। जितने अधिक लोग वैक्सीन लेते जाएंगे, संक्रमण फैलने का दायरा उतना कम होता जाएगा और वायरस के म्यूटेशन की संभावना भी कमजोर हो जाएगी।
साथ ही वो यह भी कहते हैं कि वैक्सीन लगवाने के बाद भी लोगों को मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे महामारी से बचाव के तमाम ऐहतियात बरतने चाहिए ताकि दुनिया फिर से सामान्य जिंदगी की तरफ लौट सके।