होली के जायके: घर पर इस तरह बनाएं मावा गुजिया, त्योहार का मजा हो जाएगा दोगुना
क्या है खबर?
इस साल होलिका दहन यानी छोटी होली 28 मार्च और बड़ी होली, जिसे धुलेंडी भी कहते हैं, 29 मार्च को मनाई जाएगी।
होली पर घरों में गुजिया बनाना एक परंपरा जैसी है, इसलिए लोग होली पर अपने विभिन्न पकवानों के साथ गुजिया भी बनाते हैं। हालांकि, अगर आपको नहीं पता कि गुजिया कैसे बनाई जाती है तो चलिए आज हम आपको मावा गुजिया की रेसिपी बताते है।
यकीन मानिए इसके जायके साथ त्योहार का मजा दोगुना हो जाएगा।
सामग्रियां
इन चीजों की पड़ेगी जरूरत
दो कप मैदा
100 ग्राम मावा
एक बड़ी चम्मच काजू (बारीक कटे हुए)
एक बड़ी चम्मच किशमिश
एक बड़ी चम्मच चिरौंजी
एक-दो चम्मच हरी इलायची का पाउडर
दो बड़ी चम्मच सूखा नारियल (कद्दूकस किया हुआ)
आधा कप चीनी पाउडर
रिफाइंड ऑयस या फिर देसी घी (आवश्यकतानुसार)
नोट: आप चाहें तो सामग्रियों की मात्रा को अपने मन मुताबिक कम या ज्यादा कर सकते हैं और अपने पसंदीदा सूखे मेवों को गुजिया में डाल सकते हैं।
स्टेप-1
मैदे का आटा गूंथने से करें शुरूआत
सबसे पहले एक परात में मैदे और एक चौथाई कप देसी घी को अच्छे से मिलाएं, फिर इस मिश्रण में थोड़ा-थोड़ा पानी डालते हुए पूरी के आटे से भी सख्त आटा गूंथ लें।
इसके बाद आटे को मसल-मसलकर चिकना कर लें और इसे किसी प्लेट से ढक्कर 20-25 मिनट के लिए ढक्कर रख दें ताकि यह गुजियों के लिए सेट हो जाए।
ध्यान रखें कि यह आटा अधिक नरम न हो।
स्टेप-2
अब बनाएं स्टफिंग
एक पैन में मावे को हल्का भूनकर एक प्याले में निकालें और उसे ठंडा होने दें। इसके बाद मावा में पिसी हुई चीनी, सूखा नारियल, किशमिश, काजू, चिरौंजी और इलाइची का पाउडर मिलाएं।
अब तैयार आटे की छोटी-छोटी लोईयां बनाकर थोड़ा बेल लें, फिर उनमें से एक बेली हुई लोई को गुजिया के सांचे पर रखकर उसमें एक चम्मच गुजिया की स्टफिंग भरें और उसे बंद करके गुजिया को एक प्लेट में निकाल लें। इसी तरह सारी गुजिया बना लें।
स्टेप-3
ऐसे दें मावा गुजिया को अंतिम रूप
अब एक कढ़ाही में आवश्यकतानुसार रिफाइंड ऑयल या फिर देसी घर गर्म करके उसमें एक-एक करके गुजिया डालकर उन्हें सुनहरा भूरा होने तक तलें। इसके बाद गुजिया को निकालकर प्लेट में रख लें।
स्वादिष्ट मावा की गुजिया तैयार हैं। इन्हें आप होली पर या जब भी आपका मन हो तब बनाइए और गर्मागर्म गुजिया खाइए।
इन्हें ठंडा होने के बाद एअर टाइट कंटेनर में भरकर रख लें और 15 दिनों तक चाव से खाते रहिए।