राजस्थानी से लेकर पहाड़ी तक, ये हैं भारत की 5 ऐतिहासिक मिनिएचर पेंटिंग शैलियां
क्या है खबर?
लघुचित्र यानि मिनिएचर पेंटिंग हाथ से बनाई गई छोटी और विस्तृत पेंटिंग होती हैं, जो 25 इंच से बड़ी नहीं होती हैं।
इन पेंटिंग में जीवंत रंगों का इस्तेमाल होता है और इन्हें छोटे पेंट ब्रश की मदद से बेहद बारीकी से रूप दिया जाता है।
भारत में मिनिएचर पेंटिंग का इतिहास बेहद समृद्ध रहा है और इसकी कई विविधताएं भी रही हैं। आज के लेख में हम आपको देश की 5 ऐतिहासिक मिनिएचर पेंटिंग शैलियों के बारे में बताएंगे।
#1
पहाड़ी मिनिएचर पेंटिंग
पहाड़ी मिनिएचर पेंटिंग की कला 17वीं से 19वीं शताब्दी के दौरान हिमाचल प्रदेश में शुरू हुई थी। ये पेंटिंग मुख्य रूप से प्रेम, दिव्य प्रेम और हिंदू पौराणिक कथाओं के दृश्यों को दर्शाते हैं।
इनके जरिए विशेष तौर पर राधा और कृष्ण के प्रेम को चित्रित किया जाता है। कुछ मिनिएचर पेंटिंग में राजाओं और रानियों के पोर्ट्रेट भी बनाए जाते थे, जो शाही दरबारों की भव्यता का बखान करते थे।
इनमें पहाड़ी प्राकृतिक सुंदरता भी जोड़ी जाती है।
#2
राजस्थानी मिनिएचर पेंटिंग
राजस्थान की मिनिएचर पेंटिंग तो दुनियाभर में मशहूर हैं, जो कि अपने जीवंत रंगों के लिए जानी जाती हैं।
इन पेंटिंग के जरिए भारतीय महाकाव्यों, हिंदू पौराणिक कथाओं और राजपूत राजघरानों के जीवन से जुड़ी कहानियों को दर्शाया जाता है।
राजस्थानी मिनिएचर पेंटिंग में अक्सर राधा-कृष्ण के जीवन से जुड़े दृश्य बनाए जाते हैं और रेगिस्तानी परिदृश्य, पारंपरिक पोशाक और स्थानीय लोगों के दैनिक जीवन का चित्रण भी किया जाता है।
#3
मुगल मिनिएचर पेंटिंग
मुगल मिनिएचर पेंटिंग को 16वीं से 18वीं शताब्दी के दौरान प्रसिद्धि मिली, जिस दौरान मुगल साम्राज्य की स्थापना हो रही थी।
इस शैली ने अकबर, जहांगीर और शाहजहां जैसे सम्राटों के शासनकाल के दौरान लोकप्रियता हासिल की थी।
मुगल मिनिएचर पेंटिंग में फारसी, भारतीय, यूरोपीय और मध्य एशियाई संस्कृतियों का अनोखा मिश्रण देखने को मिलता है।
इस शैली में मुगल सम्राटों, दरबारियों और अन्य हस्तियों को उनके दैनिक जीवन में दर्शाया जाता था।
#4
बसोहली मिनिएचर पेंटिंग
बसोहली मिनिएचर पेंटिंग जम्मू और कश्मीर के बसोहली क्षेत्र से शुरू हुई थी। यह शैली अपने जीवंत रंगों और बोल्ड रेखाओं के लिए जानी जाती है।
बसोहली मिनिएचर पेंटिंग के जरिए अक्सर भागवत पुराण, रामायण और महाभारत जैसी हिंदू पौराणिक कथाओं के दृश्यों को दर्शाया जाता था।
ये पेंटिंग बहुत बारीकी से बनाई जाती थीं और इनमें लोगों की आंखें बड़ी बनाई जाती थीं। साथ ही इन पेंटिंग में सुंदर बैकग्राउंड और फूल जरूर बनाए जाते थे।
#5
दक्कन मिनिएचर पेंटिंग
दक्कन मिनिएचर पेंटिंग 1520 में दक्कन क्षेत्र में विकसित मिनिएचर पेंटिंग शैली थी। इसे दक्कनी चित्रकला के नाम से भी जाना जाता है।
दक्कन क्षेत्र उत्तर में नर्मदा नदी से लेकर प्रायद्वीप के दक्षिणी सिरे तक फैला हुआ है। 16वीं शताब्दी के अंत से लेकर 17वीं शताब्दी के मध्य तक बनाई गई ये पेंटिंग भारतीय और फारसी कला रूपों को मिश्रित करती थीं।
इसमें शासकों और दरबारियों के चित्र व ऐतिहासिक और साहित्यिक कामों के चित्र बनाए जाते थे।