
एल्युमिनियम फॉयल का इस्तेमाल छोड़ इन पर्यावरण अनुकूल विकल्पों को अपनाएं
क्या है खबर?
एल्युमिनियम फॉयल का इस्तेमाल खाना पैक करने के लिए सबसे ज्यादा किया जाता है।
कई लोग इसे सुविधाजनक मानते हैं, लेकिन इसके इस्तेमाल से पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि यह नष्ट होने में लंबा समय लेता है। ऐसे में क्यों न कुछ ऐसे विकल्प आजमाए जाएं, जो पर्यावरण के अनुकूल हों और हमारे स्वास्थ्य के लिए भी अच्छे हों।
आइए आज हम आपको एल्युमिनियम फॉयल के कुछ पर्यावरण अनुकूल विकल्पों के बारे में बताते हैं।
#1
बीजवैक्स रैप्स का करें इस्तेमाल
बीजवैक्स रैप्स एक बेहतरीन विकल्प हैं, जो एल्युमिनियम फॉयल्स की जगह ले सकते हैं।
ये रैप्स मोम, पाइन रेजिन और जैतून के तेल से बने होते हैं। इनका इस्तेमाल करके आप अपने खाने को आसानी से ढक सकते हैं और ये लंबे समय तक चलने वाले होते हैं।
इन्हें इस्तेमाल करने के बाद सामान्य पानी और साबुन से धोकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। इनका इस्तेमाल करने से एल्युमिनियम फॉयल का उपयोग कम हो सकता है।
#2
पार्चमेंट पेपर भी है अच्छा विकल्प
पार्चमेंट पेपर भी एल्युमिनियम फॉयल का अच्छा विकल्प है। इसका इस्तेमाल बेकिंग से लेकर खाने को ढकने तक कई तरीकों से किया जा सकता है।
यह कागज गर्मी सहन कर सकता है और इसमें खाना चिपकता नहीं है। इसके अलावा पार्चमेंट पेपर जल्दी नष्ट हो जाता है, जिससे यह पर्यावरण के लिए सुरक्षित है।
इसका इस्तेमाल करके आप अपने खाने को ताजा रख सकते हैं और एल्युमिनियम फॉयल्स की आवश्यकता नहीं पड़ती।
#3
कांच के डिब्बों का करें चयन
कांच के डिब्बे एक बेहतरीन विकल्प हैं, जिनमें आप अपने खाने को स्टोर कर सकते हैं। ये डिब्बे न केवल मजबूत होते हैं बल्कि इनमें खाना लंबे समय तक ताजा रहता है।
इसके अलावा इन्हें धोना भी आसान होता है और बार-बार इस्तेमाल करने पर इनमें कोई खराबी नहीं आती।
कांच के डिब्बों का इस्तेमाल करके आप एल्युमिनियम फॉयल्स की आवश्यकता नहीं पड़ती और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता।
#4
स्टेनलेस स्टील डिब्बों का करें इस्तेमाल
स्टेनलेस स्टील डिब्बे भी एल्युमिनियम फॉयल का पर्यावरण अनुकूल विकल्प है, जिनमें आप अपने खाने को स्टोर कर सकते हैं।
ये डिब्बे मजबूत होते हैं और लंबे समय तक चलते हैं। इन्हें धोना भी आसान होता है और बार-बार इस्तेमाल करने पर इनमें कोई खराबी नहीं आती।
स्टेनलेस स्टील डिब्बों का इस्तेमाल करके आप एल्युमिनियम फॉयल्स की आवश्यकता नहीं पड़ती और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता।