होली कब है? जानिए त्योहार का इतिहास और अन्य महत्वपूर्ण बातें
क्या है खबर?
होली एक हिंदू त्योहार है, जिसे पूरे देश में धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
पारंपरिक रूप से ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन के महीने में मनाई जाने वाली होली वसंत के आगमन और सर्दियों के अंत का प्रतीक है। यह लोगों के लिए एक साथ आने और आपसी मतभेदों को दूर करने का समय भी माना जाता है।
आइए आज हम आपको इस रंगों के त्योहार से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
तिथि
कब है होली?
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, होली हर साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, जो इस बार 25 मार्च को है। रंगों से खेलने वाली होली को धुलेंडी कहते हैं, जबकि इससे एक दिन पहले होलिका दहन का त्योहार मनाया जाएगा।
द्रिक पंचाग के अनुसार, त्योहार का शुभ समय इस प्रकार है:
पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 24 मार्च की सुबह 09:54 बजे से
पूर्णिमा तिथि का समापन: 25 मार्च की दोपहर 12:29 बजे तक
कारण
होलिका दहन मनाने के कारण
ऐसा माना है कि प्रह्लाद भगवान विष्णु की भक्ति में हमेशा लीन रहते थे, लेकिन उनके पिता हिरण्यकश्यप को यह पसंद नहीं था।
इस कारण हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने की कई कोशिश की, जिसमें से एक थी कि उन्होनें अपनी बहन होलिका (जिसे आग में न जलने का वरदान था) को प्रह्लाद के साथ आग के बैठने को कहा, लेकिन उसमें प्रह्लाद तो बच गए और होलिका जल गई।
तभी से होलिका दहन की प्रथा चली आ रही है।
धुलेंडी
कृष्ण ने की थी रंगों वाली होली की शुरूआत
माना जाता है कि जब भगवान कृष्ण ने राक्षसी पूतना के वध के लिए उनके स्तन से जहर वाला दूध पिया तो उनकी त्वचा का रंग नीला हो गया था, जिसके बाद श्री कृष्ण इस बात को लेकर चिंतित हो गए थे कि राधा उन्हें पसंद नहीं करेगी।
तब श्री कृष्ण की मां ने उन्हें सुझाव दिया कि वह किसी भी रंग से राधा का चेहरा रंग दें।
इस रंग के खेल से होली पर रंगों से खेलना शुरू हुआ।
तरीके
त्योहार कैसे मनाया जाता है?
रंगों वाली होली से एक दिन पहले की शाम को अलाव जलाया जाता है और होलिका की पूजा करके 7 बार परिक्रमा की जाती है।
अगले दिन लोग अपने करीबियों के घर जाकर उन्हें गुलाल लगाते हैं और घर में तरह-तरह के पकवान बनाते हैं।
इस अवसर पर लोग अपने प्रियजनों के साथ नाच-गाकर उत्सव का आनंद लेते हैं।
यहां जानिए घर पर प्राकृतिक गुलाल बनाने के 5 आसान तरीके।