
क्या है ऐपण कला? जानिए इससे जुड़ी अहम बातें
क्या है खबर?
ऐपण एक पारंपरिक भारतीय कला है, जो मुख्य रूप से उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्रों में प्रचलित है।
यह कला खासतौर पर महिलाओं द्वारा की जाती है और इसमें जमीन पर रंग-बिरंगे पैटर्न बनाए जाते हैं। ऐपण का उपयोग पूजा-पाठ और त्योहारों के दौरान किया जाता है।
इस लेख में हम ऐपण की प्रक्रिया, इसके उपयोग और इसके सांस्कृतिक महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे।
प्रक्रिया
ऐपण बनाने की प्रक्रिया
ऐपण बनाने के लिए सबसे पहले जमीन को साफ किया जाता है, फिर चावलों के आटे का घोल तैयार किया जाता है।
इस घोल को अलग-अलग आकारों में जमीन पर फैलाया जाता है। इसके बाद इस घोल से विभिन्न डिजाइंस बनाए जाते हैं, जो आमतौर पर फूल, पत्ते और ज्यामितीय आकृतियों पर आधारित होते हैं।
अंत में इन डिजाइंस को रंगीन पाउडर या फूलों से सजाया जाता है, जिससे यह और भी आकर्षक दिखता है।
विधि
ऐपण बनाने का तरीका
ऐपण बनाने के लिए सबसे पहले आधार पर चावल का पेस्ट लगाया जाता है, फिर उस पर लाल गेरू और सफेद पाउडर से अलग-अलग डिजाइन बनाए जाते हैं।
इन डिजाइनों में ज्यादातर फूल, पत्तियां, ज्यामितीय आकार और देवी-देवताओ के चित्र शामिल होते हैं।
इस प्रक्रिया में हाथों का उपयोग होता है ताकि डिजाइन साफ-सुथरे और सुंदर दिखें।
ऐपण को बनाने में धैर्य और अभ्यास की जरूरत होती है ताकि यह आकर्षक और प्रभावी बने।
त्योहार
त्योहारों पर होता है खास महत्व
ऐपण केवल पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि त्योहारों पर भी इसका खास महत्व होता है।
दीपावली पर इसे घर के प्रवेश द्वार पर बनाया जाता है ताकि लक्ष्मी माता का स्वागत किया जा सके, वहीं मकर संक्रांति पर सूर्य देवता की पूजा के लिए भी ऐपण बनाया जाता है।
इसके अलावा शादी-ब्याह और अन्य समारोहों में भी इसका उपयोग किया जाता है, जिससे यह संस्कृति का अहम हिस्सा बन जाता है।
धरोहर
सांस्कृतिक धरोहर का है अहम हिस्सा
ऐपण केवल एक कला नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। यह हमारी परंपराओं और रीति-रिवाजों को जीवित रखने में मदद करता है।
ऐपण बनाने वाली महिलाएं इस कला को पीढ़ी दर पीढ़ी सिखाती आ रही हैं, जिससे यह कला आज भी जीवंत है।
इसके माध्यम से हम अपनी संस्कृति और परंपराओं को समझ सकते हैं और उन्हें आगे बढ़ा सकते हैं। ऐपण हमारी सांस्कृतिक पहचान का एक अहम हिस्सा है।