
चिकनगुनिया की वैक्सीन लाखों संक्रमणों को कर सकती है खत्म, अध्ययन में खुलासा
क्या है खबर?
चिकनगुनिया ऐसा संक्रमण रोग है, जो संक्रमित एडीज मच्छरों के काटने से फैलता है।
हालांकि, अब इस संक्रमण रोग के लिए वैक्सीन बन चुकी है और उसके प्रभाव पर हुए एक अध्ययन से पता चला है कि वो वैक्सीन चिकनगुनिया संक्रमण के साथ दुनियाभर के लाखों संक्रमणों को खत्म कर सकती है।
वैक्सीन का नाम इक्स्चिक है, जिसे साल 2023 में अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) और यूरोपीय औषधीय संस्था (EMA) से मंजूरी मिली थी।
वैक्सीन
संक्रमण के खिलाफ 70 प्रतिशत तक प्रभावकारी मानी जा रही है वैक्सीन
नेचर मेडिसीन जर्नल में पब्लिश इस अध्ययन के शोधकर्ताओं का कहना है कि इक्स्चिक की प्रभावकारिता संक्रमण के खिलाफ 70 प्रतिशत है, जबकि संक्रमण के खिलाफ 40 प्रतिशत है।
इसके अतिरिक्त शोधकर्ताओं को पता चला कि संक्रमण के प्रसार वाले स्थानों में रहने वाले लोगों और 12 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति को इक्स्चिक वैक्सीन लगाने से उन्हें चिकनगुनिया समेत लाखों अन्य संक्रमणों से सुरक्षित रखा जा सकता है।
डाटा
डिजीटल प्लेटफॉर्म से इकट्ठा किया गया अध्ययन का डाटा
शोधकर्ताओं ने बताया कि अध्ययन का डाटा गूगल, गूगल सोलर, पबमेड, गिदोन और प्रोमेड जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म से प्राप्त किया गया।
शोधकर्ताओं ने डाटा की गणना के लिए सांख्यिकीय मॉडल का इस्तेमाल किया, जिसमें मच्छर वेक्टर डाटा और चिकनगुनिया प्रचलन के बीच संबंध, देश और क्षेत्र में महामारी की स्थिति और लीवरेजिंग सेरोकैटेलिटिक मॉडल शामिल हैं।
इसके परिणाम से पता चला कि चिकनगुनिया की वैक्सीन काफी प्रभावी है।
बयान
संक्रमण के जोखिम कम कर सकती है वैक्सीन- लेखक
अध्ययन के लेखकों का कहना है कि इस अध्ययन और हो रहे अन्य 4 अध्ययन से इस वैक्सीन की प्रभावशीलता एक स्पष्ट उम्मीद दे रही है।
उन्होंने आगे कहा, "यह अध्ययन संक्रमण के जोखिम डाटा का इस्तेमाल करके इक्स्चिक परिनियोजन नीति को सूचित करती है, जिससे संक्रमण और इसके जोखिम को काफी कम करने के लिए वैक्सीन का उपयोग सही है।"
हालांकि, अभी इस विषय पर और अध्ययन होने बाकि हैं।
मामला
साल 1952 में सामने आया था चिकनगुनिया का पहला मामला
पहली बार साल 1952 में चिकनगुनिया का मामला तंजानिया में सामने आया था, जबकि भारत में इसका पहला मामला साल 1963 में सामने आया था।
इस संक्रमण को ब्रेक ब्रेकिंग फीवर के नाम से भी जाना जाता है, जो अब तक 105 से भी ज्यादा देशों में इसके मामले सामने आए हैं। पिछले 15 सालों में दुनियाभर में चिकनगुनिया के 60 लाख से भी ज्यादा मामले सामने आए हैं।