
केरल के संगीत को खास बनाते हैं ये 5 वाद्ययंत्र, जानिए इनके बारे में
क्या है खबर?
केरल में कई ऐसे संगीत के वाद्ययंत्र हैं, जो न केवल संगीत की दुनिया में खास पहचान रखते हैं, बल्कि इनकी धुनें सुनने वालों को एक अलग ही दुनिया में ले जाती हैं। ये वाद्ययंत्र न केवल अपनी अनोखी धुनों के लिए जाने जाते हैं, बल्कि इनके निर्माण में उपयोग होने वाले पारंपरिक तरीकों के कारण भी इनकी खास अहमियत है। आइए आज हम आपको केरल के पांच प्रमुख संगीत के वाद्ययंत्रों के बारे में बताते हैं।
#1
इडक्का
इडक्का एक पारंपरिक ड्रम है, जो केरल के मंदिरों में बजाया जाता है। इसे हाथों से बजाया जाता है और इसकी धुनें पूजा और उत्सवों के दौरान खास होती हैं। इडक्का को बनाने के लिए लकड़ी और लेदर का उपयोग किया जाता है, जिससे इसकी धुनें बहुत ही अनोखी और आकर्षक बनती हैं। इसके अलावा इडक्का की धुनें न केवल धार्मिक कार्यक्रमों में, बल्कि नाच-गाने में भी इस्तेमाल की जाती हैं।
#2
चेन्दा
चेन्दा एक बड़ा ड्रम है, जिसे मुख्य रूप से त्योहारों और समारोहों में बजाया जाता है। इसे लकड़ी की छड़ी से बजाया जाता है और इसकी तेज धुनें उत्सवों का माहौल बनाती हैं। चेन्दा को बजाने के लिए खास तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जिससे इसकी धुनें बहुत ही प्रभावशाली होती हैं। इसके अलावा चेन्दा की धुनें न केवल धार्मिक कार्यक्रमों में, बल्कि नाच-गाने में भी इस्तेमाल की जाती हैं।
#3
कोम्बू
कोम्बू एक प्रकार का वाद्ययंत्र है, जो सींग जैसा दिखता है। इसे बजाने के लिए मुंह से फूंका जाता है और इसकी तेज धुनें उत्सवों का माहौल बनाती हैं। कोम्बू को बजाने के लिए खास तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जिससे इसकी धुनें बहुत ही प्रभावशाली होती हैं। इसके अलावा कोम्बू की धुनें न केवल धार्मिक कार्यक्रमों में, बल्कि नाच-गाने में भी इस्तेमाल की जाती हैं।
#4
वीणा
वीणा एक प्रमुख तार वाद्ययंत्र है, जिसे साज के रूप में जाना जाता है। यह कई प्रकार की होती हैं, जिनमें रागमल्लिका, मृदंगम और यालमंजिका शामिल हैं। वीणा को बजाने के लिए उंगलियों का उपयोग किया जाता है और इसकी मधुर धुनें शास्त्रीय संगीत में खास अहमियत रखती हैं। वीणा को बनाने के लिए लकड़ी और तारों का उपयोग किया जाता है, जिससे इसकी धुनें बहुत ही आकर्षक बनती हैं।
#5
घटम
घटम एक मिट्टी का बर्तन होता है, जिसे खोखला करके बनाया जाता है। इसे उल्टाकर बजाया जाता है और इसकी गूंज बहुत ही अनोखी होती है। घटम को बजाने के लिए हाथों का उपयोग किया जाता है और इसकी धुनें शास्त्रीय संगीत में खास अहमियत रखती हैं। घटम को बनाने के लिए मिट्टी और पानी का उपयोग किया जाता है, जिससे इसकी गूंज बहुत ही आकर्षक बनती है।