दक्षिण भारत में भरतनाट्यम के साथ मशहूर हैं ये 5 कम लोकप्रिय नृत्य शैलियां
क्या है खबर?
दक्षिण भारत में डांस को केवल कला की तरह नहीं देखा जाता है, बल्कि साधना समझा जाता है।
दक्षिण भारतीय नृत्य प्राचीन परंपराओं को दर्शाता है, जिसके जरिए पौराणिक कहानियां कही जाती हैं और मनोरंजन किया जाता है।
भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी और कथकली के बारे में तो हम सभी ने सुना है। हालांकि, यहां इनके अलावा भी कई नृत्य शैलियां मशहूर हैं, जिनके बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते।
आइए दक्षिण भारत की 5 नृत्य शैलियों के बारे में जानते हैं।
#1
कोलकली
कोलकली केरल के उत्तरी मालाबार क्षेत्र की प्रचलित लोक नृत्य शैली है। इसे विशेष तौर पर त्योहारों के दौरान किया जाता है।
यह डांस छोटी छड़ियों के साथ किया जाता है, जिसमें नर्तक गोल-गोल घूमते हैं। सभी नृतक घूमते हुए अपनी-अपनी छड़ियों से एक-दूसरे पर प्रहार करते हैं।
इस डांस में कुल 24 लोग शामिल होते हैं और उनके हाथों में 2 फुट लंबी छड़ियां होती हैं। इस नृत्य के दौरान ढोल और अन्य पारंपरिक वाद्य यंत्र बजाए जाते हैं।
#2
मोहिनीअट्टम
मोहिनीअट्टम केरल की एक मशहूर शास्त्रीय नृत्य शैली है, जो महिलाओं द्वारा की जाती है। यह नृत्य भगवान विष्णु के स्त्री अवतार 'मोहिनी' की कहानी पर आधारित है।
यह डांस अपनी लयबद्ध ताल और मधुर संगीत के लिए जाना जाता है। मोहिनीअट्टम में नर्तक पारंपरिक वस्त्र पहनती हैं और चेहरे पर हल्का मेकअप करती हैं, ताकि उनकी भावनाएं साफ नजर आएं।
इस नृत्य शैली में हाथों की मुद्राएं बहुत अहम होती हैं, जो भावनाओं को व्यक्त करती हैं।
#3
यक्षगान
यक्षगान कर्नाटक का प्रचलित पारंपरिक लोक नृत्य है, जिसमें केवल नृत्य ही नहीं, बल्कि ड्रामा भी शामिल होता है।
यह शैली नृत्य, संगीत, गीत, संवाद और वेशभूषा का एक अद्भुत मिश्रण होती है। यक्षगान शब्द का अर्थ होता है 'दिव्य संगीत', जो इस नृत्य के सार को बखूबी व्यक्त करता है।
इस शैली में संवाद बेहद अहम होता है, जिसके जरिए कहानी को आगे बढ़ाया जाता है। इसके माध्यम से रामायण और महाभारत जैसी पौराणिक कथाएं प्रस्तुत की जाती हैं।
#4
देवरट्टम
देवरट्टम तमिलनाडु का एक मशहूर लोक नृत्य है, जो कंबलाथु नायकर समुदाय द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। यह नृत्य देवताओं की पूजा के दौरान किया जाता है।
इसे खास तौर से जक्कम्मा को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है, जो शक्ति का रूप मानी जाती हैं।
यह नृत्य बेहद ऊर्जावान होता है, जिसमें नर्तक लयबद्ध तरीके से पैरों को हिलाते हैं और हाथों के इशारे करते हैं।
नर्तक रंग-बिरंगे परिधान पहनते हैं और नृत्य करते समय रुमाल पकड़ते हैं।
#5
गुसाडी नृत्य
गुसाडी नृत्य गोंड जनजाति का एक पारंपरिक नृत्य है, जो मुख्य रूप से तेलंगाना में प्रसिद्ध है। इसे राजगोंड जनजाति के डंडारी त्योहार के दौरान प्रस्तुत किया जाता है, जो दिवाली के समय मनाया जाता है।
गुसाडी नृत्य में केवल पुरुष भाग लेते हैं और इसे समूह में किया जाता है। इसमें नर्तक रंग-बिरंगे कपड़े, मोर पंख जड़ी पगड़ियां और सुंदर आभूषण पहनते हैं।
नर्तक गोलाकार में दाएं-बाएं कदम बढ़ाते हुए नाचते हैं और जानवरों की नकल करते हैं।