#NewsBytesExplainer: तमिलनाडु में NEET को लेकर क्या विवाद और सरकार इसे खत्म करना क्यों चाहती है?
क्या है खबर?
तमिलनाडु में मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) को लेकर एक बार फिर विवाद छिड़ गया है।
चेन्नई में एक NEET अभ्यर्थी और उसके पिता की आत्महत्या के बाद मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा है कि राज्य में जल्द ही NEET के आयोजन पर रोक लगा दी जाएगी।
आइए जानते हैं कि यह पूरा मामला क्या है और तमिलनाडु में NEET का विरोध क्यों है।
मामला
क्या है मौजूदा मामला?
चेन्नई में रहकर NEET की तैयारी कर रहे 19 वर्षीय छात्र जगदीश्वरन ने शुक्रवार को अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
पुलिस ने बताया कि छात्र अपने 2 प्रयासों में NEET में पास होने के लिए आवश्यक अंक हासिल नहीं कर पाया था और काफी तनाव में था।
इसके बाद छात्र के पिता ने NEET प्रशासन को अपने बेटे की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए खुद भी आत्महत्या कर ली।
बयान
मुख्यमंत्री स्टालिन ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा, "मैं अपील करता हूं कि किसी भी छात्र को किसी भी परिस्थिति में अपनी जान लेने का फैसला नहीं करना चाहिए। NEET आपके विकास में बाधा है और राज्य में जल्द इसे खत्म कर दिया जाएगा। राज्य सरकार इस दिशा में कानूनी पहल पर सक्रिय रूप से काम कर रही है।"
उन्होंने मृतक छात्र के परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि तमिलनाडु में जल्द ही NEET के खिलाफ कानून लागू हो जाएगा।
विधेयक
NEET को खत्म करने के लिए क्या कर रही तमिलनाडु सरकार?
तमिलनाडु सरकार राज्य में NEET पर रोक लगाने के लिए 2021 में तमिलनाडु स्नातक मेडिकल डिग्री पाठ्यक्रम में प्रवेश विधेयक लेकर आई थी।
उसका तर्क था कि NEET से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के छात्रों को फायदा मिल रहा है, जबकि राज्य बोर्ड के बच्चे इस परीक्षा को पास करने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं।
राज्यपाल ने इस विधेयक को मंजूर करने से मना कर दिया था। इसके बाद पारित करके दोबारा राज्यपाल के पास भेजा गया।
विरोध
तमिलाडु में क्यों है NEET का विरोध?
तमिलनाडु सरकार का कहना है कि NEET किसी विद्यार्थी का आंकलन करने का सही तरीका नहीं है और यह अमीर लोगों के बच्चों के हित में बनाया गया है।
सरकार का आरोप है कि प्रत्येक राज्य में अलग-अलग पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता है और एक समान परीक्षा होने पर छात्रों पर दबाव पड़ता है।
तमिलनाडु सरकार के मुताबिक, NEET से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवा रहे कोचिंग संस्थानों को काफी फायदा हो रहा है।
समिति
तमिलनाडु सरकार के दावे पर क्या कहते हैं आंकड़े?
तमिलनाडु सरकार ने NEET के प्रभाव को लेकर पूर्व जज एके राजन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था।
समिति ने सरकार के रुख का समर्थन करते हुए कहा था कि NEET से पहले 61.45 प्रतिशत ग्रामीण छात्रों को मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिलता था, लेकिन NEET के बाद यह गिरकर 49.91 प्रतिशत रह गया।
NEET से पहले 38.55 प्रतिशत शहरी छात्रों को दाखिला मिलता था, लेकिन NEET के बाद उनका दाखिला बढ़कर 50.09 प्रतिशत हो गया।
जानकारी
ये आंकड़ा भी दर्शाता है अमीरों को लाभ
समिति के अनुसार, बार-बार NEET देकर एडमिशन पाने वाले छात्रों की संख्या 2016-17 में 12.47 प्रतिशत से बढ़कर 2020-21 में 71.42 प्रतिशत हो गई। चूंकि अमीर पृष्ठभूमि के छात्र बार-बार परीक्षा ज्यादा देते हैं, इसलिए इससे भी अमीरों को लाभ के दौर पर देखा गया।
बयान
राज्यपाल ने विधेयक पर क्या कहा?
राज्यपाल आरएन रवि ने हाल ही में कहा कि वह NEET के खिलाफ लाए जा रहे विधेयक को कभी भी मंजूरी नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि NEET के बिना भविष्य के लिए पर्याप्त विकल्प नहीं होंगे और राज्य में यह परीक्षा जारी रहेगी।
राज्यपाल ने कहा कि वह नहीं चाहते तमिलनाडु के बच्चे अन्य राज्यों के बच्चों की तुलना में खुद को बौद्धिक रूप से अक्षम महसूस करें।
विधेयक फिलहाल राष्ट्रपति के सामने लंबित है।