#NewsBytesExplainer: प्रधानमंत्री पर ग्रीस दौरे के जरिए अडाणी को फायदा पहुंचाने का आरोप क्यों लग रहा?
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ग्रीस दौरे पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस का आरोप है कि अडाणी समूह को फायदा पहुंचाने के लिए पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री मोदी ग्रीस की यात्रा पर गए।
पिछले 40 सालों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री का ये पहला ग्रीस दौरा था। इससे पहले 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ग्रीस की यात्रा की थी।
आइए जानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के ग्रीस दौरे के बाद अडाणी सूमह की चर्चा क्यों है।
दौरा
प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रीस में क्या-क्या किया?
25 अगस्त को दक्षिण अफ्रीका में आयोजित BRICS के सम्मेलन से लौटते हुए प्रधानमंत्री मोदी संक्षिप्त दौरे पर ग्रीस पहुंचे थे। इस दौरान ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस ने उनके लिए एक व्यापारिक भोज का कार्यक्रम रखा था।
इस भोज में भारत की कई कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया था। प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रीस के व्यापारिक नेताओं और कई शीर्ष कंपनियों के अधिकारियों से मुलाकात की थी।
सवाल
दौरे पर क्यों उठे सवाल?
ग्रीस टाइम्स का दावा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने यहां पर रणनीतिक निवेश और पर्यटन आदि के साथ-साथ बंदरगाहों के अधिग्रहण के मुद्दे पर भी चर्चा की।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अरबपति व्यवसायी गौतम अडाणी के नेतृत्व वाला अडाणी समूह ग्रीस के 2 बंदरगाहों, कावाला और वोलोस, का अधिग्रहण करना चाहता है।
इसी वजह से प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रीस पहुंचकर बंदरगाहों के अधिग्रहण को लेकर बातचीत की है।
मीडिया
ग्रीस की मीडिया ने और क्या कहा?
ग्रीस के एक अन्य अखबार ने अडाणी के प्रभाव, उनके व्यवसाय और प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनके करीबी रिश्तों के बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसमें कहा गया है कि भारत से 40 साल बाद कोई प्रधानमंत्री ग्रीस आया था, लेकिन चर्चा अडाणी की होती रही।
हालांकि, ग्रीस के प्रधानमंत्री द्वारा आयोजित व्यवसायिक भोज में अडाणी शामिल नहीं हुए थे। अडाणी समूह ने भी बंदरगाहों के अधिग्रहण को लेकर अभी कोई सार्वजनिक रुचि जाहिर नहीं की है।
कांग्रेस
कांग्रेस ने मामले में क्या सवाल उठाए?
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी की ग्रीस यात्रा पर सवाल खड़े किये हैं।
कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर लिखा, 'जैसा कि आपको पता है कि मोदी अभी-अभी ग्रीस की यात्रा से लौटे हैं, वहां उन्होंने ग्रीस के बंदरगाहों में दिलचस्पी दिखाई। इसका मतलब है कि हमेशा की तरह इस बार भी प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्रा अपने परम मित्र (अडाणी) को डील दिलाने के लिए ही थी, यानी मोदी ही अडाणी हैं, अडाणी ही मोदी हैं।'
अधिग्रहण
अडाणी समूह और बंदरगाहों का क्या संबंध है?
अडाणी समूह की सहायक कंपनी 'अडाणी पोर्ट्स एंड SEZ लिमिटेड' दुनिया की सबसे बड़े बंदरगाह संचालक कंपनियों में से है। ये कंपनी भारत में ही 13 बंदरगाहों का संचालन कर रही है।
हाल ही में अडाणी समूह ने इजरायल के दूसरे सबसे बड़े बंदरगाह हाइफा का भी अधिग्रहण किया है।
इससे अडाणी समूह भूमध्यसागर पर एक बड़ा एशियाई खिलाड़ी बनकर उभरेगा। अडाणी समूह के अधिग्रहण के बाद हाइफा बंदरगाह से एशिया और यूरोप के बीच समुद्रीय यातायात बढ़ेगा।
निवेश
प्रधानमंत्री मोदी और अडाणी समूह के संबंधों पर क्यों उठते हैं सवाल?
अक्सर प्रधानमंत्री मोदी के विदेश दौरों के बाद उन देशों में अडाणी को सौदे मिलने का आरोप लगता है। प्रधानमंत्री के ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश और श्रीलंका दौरे के बाद अडाणी समूह ने इन देशों में निवेश किया।
समूह ऑस्ट्रेलिया में एक बंदरगाह के अलावा कोयला खदानों और सौर ऊर्जा परियोजनाओं का संचालन करता है, जबकि उसने बांग्लादेश और श्रीलंका में भी ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश किया है।
यही कारण है कि प्रधानमंत्री पर अडाणी को फायदा पहुंचाने का आरोप लगता है।
विश्लेषक
बंदरगाहों के अधिग्रहण से भारत को क्या फायदा होगा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस सौदे से दोनों देशों के व्यापारिक हित जुड़े हैं। पूर्वी भूमध्यसागर में ग्रीस का स्थान बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत यूरोप के तमाम देशों के साथ व्यापार करता है।
उन्होंने कहा, "भारत ग्रीस के साथ संबंध बेहतर करते तुर्की को संदेश दे रहा है। दूसरी तरफ वह ग्रीस में चीन की बढ़ती आर्थिक दखल को रोकते हुए बंदरगाहों के जरिए यूरोप में व्यापार भी बढ़ाना चाहता है।"
जानकारी
जयशंकर भी गए थे ग्रीस
साल 2021 में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की ग्रीस यात्रा पर गए थे। उनके बाद मार्च 2022 में ग्रीक विदेश मंत्री निकोस डेंडियास भारत यात्रा पर आए थे।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
ग्रीस, यूरोपियन यूनियन (EU) और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO), दोनों का सदस्य है, वहीं ग्रीस के पीरियस शहर की बंदरगाहें एशिया और यूरोप को जोड़ने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। यहां चीन ने भी निवेश किया है।
भारत इसके जरिए देश की कंपनियों के लिए यूरोप के रास्ते खोलना चाहता है।
बता दें, 2022-23 में भारत और ग्रीस के बीच लगभग 33,000 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था, जिसे 2030 तक दोगुना करने का लक्ष्य है।