कौन हैं भारतवंशी विरांश भानुशाली, जिन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनियन बहस में पाकिस्तान पर साधा निशाना?
क्या है खबर?
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले भारतीय मूल के छात्र वीरांश भानुशाली ने हाल ही में ऑक्सफोर्ड यूनियन की बहस के दौरान अपने जोशीले भाषण से सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। उन्होंने बहस के दौरान भारत में हुए आतंकी हमलों को लेकर पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा। इसके बाद उनके बयानों के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। ऐसे में आई जानते हैं वीरांश कौन हैं और उन्होंने पाकिस्तान पर कैसे निशाना साधा।
परिचय
कौन हैं विरांश भानुशाली?
वीरांश भानुशाली इंग्लैंड की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कानून के छात्र हैं। वे ऑक्सफोर्ड के सेंट पीटर कॉलेज में BA ज्यूरिस्प्रूडेंस (LLB), अंग्रेजी कानून और यूरोप में कानून अध्ययन की पढ़ाई कर रहे हैं। मुंबई में जन्मे भानुशाली ने कथित तौर पर मुंबई के NES इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाई की। बाद में वे उच्च शिक्षा के लिए ब्रिटेन चले गए। उन्होंने कई लॉ इंटर्नशिप की हैं, जिनमें क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस और भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल की इंटर्नशिप शामिल हैं।
कार्य
ऑक्सफोर्ड यूनियन के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में कार्यरत हैं भानुशाली
भानुशाली वर्तमान में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में छात्रों द्वारा संचालित वाद-विवाद समिति, ऑक्सफोर्ड यूनियन के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में कार्यरत हैं। इससे पहले कानून के छात्र ऑक्सफोर्ड यूनियन में अंतरराष्ट्रीय अधिकारी और सचिव समिति के सदस्य के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। उन्होंने अक्टूबर 2023 में द ऑक्सफोर्ड मजलिस की सह-स्थापना की, जो सांस्कृतिक और बौद्धिक चर्चाओं पर केंद्रित छात्रों की एक पहल है।
पहचान
कैसे चर्चा में आए भानुशाली?
भानुशाली ने 27 नवंबर को ऑक्सफोर्ड यूनियन में 'पाकिस्तान के प्रति भारत की नीति सुरक्षा नीति का एक लोकलुभावन आवरण है' शीर्षक वाले विषय पर हुई बहस में पाकिस्तान पर निशाना साधने के बाद चर्चा में आए हैं। उन्होंने पाकिस्तानी मूल के समकक्ष मूसा हरराज के उस तर्क का खंडन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान के प्रति भारत की नीति लोकलुभावनवाद से प्रेरित है। भानुशाली ने इसे वास्तविक सुरक्षा चिंताओं से प्रेरित बताया है।
अनुभव
भानुशाली ने किया व्यक्तिगत अनुभवों का जिक्र
बहस में भानुशाली ने भारत में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने में पाकिस्तान की भूमिका पर प्रकाश डालने के लिए अपने व्यक्तिगत अनुभवों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि कैसे उनकी चाची 26 नवंबर, 2008 को मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पर हुए आतंकी हमले से बाल-बाल बची थीं। उन्होंने कहा कि उनकी चाची ने संयोगवश दूसरी ट्रेन पकड़ ली थी और वह 166 मृतक लोगों की सूची में शामिल होने से बच गईं।
हालात
भानुशाली ने मुंबई हमले के दर्द का किया बखान
भानुशाली ने कहा, "मैं तब स्कूली छात्र था और अपने शहर को जलते हुए देखने के लिए टीवी से चिपका हुआ था। मुझे फोन पर अपनी मां की आवाज में डर याद है। तीन रातों तक मैं और मुंबई सोए नहीं।" उन्होंने कहा कि उन्होंने यह कहानी इसलिए साझा की ताकि बहस को वास्तविक परिस्थितियों से जोड़ा जा सके। उन्होंने बताया कि 1993 के मुंबई धमाकों के दौरान उनके घर के पास स्थित रेलवे स्टेशन को निशाना बनाया गया था।
स्पष्ट
आतंकी हमलों का चुनाव से कोई सबंध नहीं- भानुशाली
भानुशाली ने 1993 के बम धमाकों का जिक्र करते हुए कहा, "उस आतंकी हमले में 257 लोग मारे गए। क्या मार्च 1993 में चुनाव हुए थे? नहीं। आतंकवाद वोट के नहीं आया, बल्कि इसलिए आया क्योंकि दाऊद इब्राहिम और ISI भारत की आर्थिक रीढ़ तोड़ना चाहते थे। यह लोकलुभावनवाद नहीं था। यह युद्ध की कार्रवाई थी। मुंबई हमलों के बाद सरकार ने संयम दिखाया और कूटनीति में संलग्न रही, जो चुनाव-प्रेरित सुरक्षा नीति के दावों को गलत साबित करता है।"
जिक्र
पहलगाम आतंकी हमला और 'ऑपरेशन सिंदूर' का भी किया जिक्र
भानुशाली ने पहलगाम आतंकी हमले पर कहा, "आतंकवादियों ने पर्यटकों से यह नहीं पूछा था कि उन्होंने किसे वोट दिया, बल्कि उनका धर्म पूछकर उन्हें गोली मार दी।" उन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बात करते हुए कहा, "हमने अपराधियों को दंडित किया। और फिर क्या हुआ? हम रुक गए। हमने आक्रमण नहीं किया। यह लोकलुभावनवाद नहीं है। यह पेशेवर रवैया है।" उन्होंने कहा कि आतंकवादी समूहों को पनाह देने के आरोपी देश को नैतिक अधिकार प्राप्त नहीं हो सकते हैं।