कौन हैं जगदीश सिंह खेहर, जिन्हें पद्म विभूषण से किया जाएगा सम्मानित?
क्या है खबर?
तीन तलाक को असंवैधानिक करार देने समेत कई चर्चित फैसले सुनाने वाले भारत के 44वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) रहे जगदीश सिंह खेहर को देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाएगा।
न्यायमूर्ति खेहर को लोक कार्य के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया है। CJI की कुर्सी तक पहुंचने वाले खेहर पहले सिख न्यायाधीश थे।
आइए, जानते हैं कैसा रहा न्यायमूर्ति खेहर का जीवन।
जन्म
केन्या में हुआ था खेहर का जन्म
खेहर का जन्म 28 अगस्त, 1958 को केन्या के नैरोबी में हुआ था। जब वे भारत आए तो उन्हें 1965 में यहां की नागरिकता मिली।
उन्होंने 1974 में चंडीगढ़ के सरकारी कॉलेज से विज्ञान में स्नातक किया। उसके बाद 1977 में पंजाब विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक और 1979 में परास्नातक किया। परास्नातक में प्रथम आने पर उन्हें स्वर्ण पदक मिला था।
कानूनी शिक्षा के बाद खेहर ने 1979 में एक वकील के रूप में अपना नामांकन कराया था।
वकालत
कई राज्यों में वकालत के बाद बने महाधिवक्ता
कोर्ट की दुनिया में प्रवेश करते ही उन्होंने मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट, हिमाचल प्रदेश और सुप्रीम कोर्ट में वकालत की।
कानूनी प्रैक्टिस के अलावा, खेहर ने 1982 से 1986 तक पंजाब विश्वविद्यालय के विधि संकाय में अध्यापन कार्य भी किया है।
जनवरी 1992 में खेहर को पंजाब के अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया और फिर चंडीगढ़ में वरिष्ठ स्थायी वकील नियुक्त हुए।
1995 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया।
उपलब्धि
20 साल की वकालत के बाद बने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश
न्यायमूर्ति खेहर को फरवरी 1999 में पंजाब ओर हरियाणा हाई कोर्ट की खंडपीठ में पदोन्नत किया गया और 20 साल वकालत के बाद 2008 और 2009 में 2 बार हाई कोर्ट का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
नवंबर, 2009 में खेहर को नैनीताल स्थित उत्तराखंड हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया और उसके बाद कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित किया गया।
यहां उन्होंने 8 अगस्त, 2010 को अपना पदभार ग्रहण किया।
सुप्रीम कोर्ट
2011 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे न्यायमूर्ति खेहर
कर्नाटक में न्यायमूर्ति खेहर को राज्यसभा के सभापति ने मई 2010 में न्यायाधीश जांच समिति का सदस्य बनाया ताकि कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पीडी दिनाकरन को हटाने की मांग के आधार की जांच की जा सके।
इसके बाद 13 सितंबर, 2011 को खेहर ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपना कार्यभार संभाला। 4 जनवरी, 2017 को उन्हें CJI बनाया गया।
7 महीने बाद वे 27 अगस्त 2017 को सेवानिवृत्त हो गए।
फैसले
तीन तलाक पर ऐतिहासिक फैसला
न्यायमूर्ति के सबसे चर्चित फैसलों में एक 2017 में तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाना शामिल है। सुप्रीम कोर्ट में 5 न्यायाधीशों की संविधानिक पीठ ने 2:3 के फैसले से इसे असंवैधानिक बताया था।
न्यायमूर्ति खेहर ने तीन तलाक के इस्तेमाल पर अस्थायी रोक लगाने का आदेश दिया और आगे विधायिका को इसकी वैधता पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था।
इसके बाद केंद्र सरकार मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक लाई थी।
जानकारी
सुप्रीम कोर्ट में 6 साल के कार्यकाल में लिखे 176 फैसले
सुप्रीम कोर्ट में अपने 6 साल के कार्यकाल में न्यायमूर्ति खेहर 8 महीने CJI रहे। पूरे कार्यकाल में 419 पीठ में रहे और 176 फैसले लिखे। वे सबसे अधिक 2014 में सक्रिय रहे। इस वर्ष उन्होंने 34 फैसले सुनाए और 63 पीठ का हिस्सा रहे।
फैसला
निजता के अधिकार के तहत सरकार का हस्तक्षेप रोका
न्यायमूर्ति खेहर ने 2017 में एक और ऐतिहासिक फैसला देते हुए संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार बना दिया।
इस मामले में केंद्र सरकार के निगरानी कार्यक्रमों और 'आधार' बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली को चुनौती दी गई थी, जिसमें 9 न्यायाधीशों की पीठ में न्यायमूर्ति खेहर और उनके सहयोगियों ने फैसला सुनाया कि निजता का अधिकार जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का अभिन्न अंग है।
इस फैसले ने नागरिकों को अनुचित सरकारी हस्तक्षेप से बचाया।
जानकारी
उसूलों के पक्के माने जाते हैं खेहर
न्यायमूर्ति अपने उसूलों के पक्के हैं। वे हर तीन महीने में रक्तदान करते हैं, जिसे उन्होंने जीवन का मिशन बनाया है। वे सादा जीवन और ईमानदारी से काम करने वाले हैं। उन्होंने 2016 में अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला रद्द किया था।