अरविंद केजरीवाल के पेशी से इनकार करने के बाद उनके और ED के पास क्या विकल्प?
क्या है खबर?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कथित शराब नीति घोटाले में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सामने पेश नहीं हुए हैं।
उन्होंने ED के समन के जवाब में लिखा कि जांच एजेंसी द्वारा उन्हें पूछताछ के लिए भेजा गया नोटिस अवैध और राजनीति से प्रेरित है, जिसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
आइए जानते हैं कि केजरीवाल पेशी से कितनी बार बच सकते हैं और मामले में उनके और ED के पास क्या-क्या विकल्प हैं।
जवाब
सबसे पहले जानें केजरीवाल ने ED से क्या कहा
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने ED के समन का जवाब देते हुए कहा, "ये समन का नोटिस अवैध और राजनीति से प्रेरित है। नोटिस भाजपा के इशारे पर भेजा गया है।"
उन्होंने कहा, "नोटिस ये सुनिश्चित करने के लिए भेजा गया है कि मैं 4 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रचार के लिए जाने में असमर्थ रहूं। ED को तुरंत नोटिस वापस लेना चाहिए।"
जांच एजेंसी
अब ED के पास क्या विकल्प?
जानकारों का कहना है कि केजरीवाल को ED के सामने पेश न होने की एक जायज वजह बतानी होगी। इसके बाद ED पूछताछ लिए उन्हें कोई अन्य तारीख दे सकती है।
उन्होंने कहा कि अगर केजरीवाल दूसरी तारीख में भी पेश नहीं होते हैं तो ED उन्हें दूसरा समन जारी कर सकती है।
नियमानुसार केजरीवाल ED के समन को 3 बार ही नजरअंदाज कर सकते हैं और इसके बाद पेश न होने पर उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।
गिरफ्तार
मामले में कैसे हो सकती है केजरीवाल की गिरफ्तारी?
जानकारों को कहना है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए ED अदालत में केजरीवाल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी करने की अर्जी लगा सकती है।
NBW एक अदालती आदेश है, जिसमें किसी व्यक्ति को एक विशिष्ट समय और तारीख पर कोर्ट में पेश होना होता है।
कोर्ट से NBW जारी होने के बाद भी अगर केजरीवाल इसकी अवहेलना करते हैं तो ED उन्हें गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश कर सकती है।
जानकारी
केजरीवाल के पास क्या विकल्प हैं?
केजरीवाल के पास मामले में ज्यादा विकल्प नहीं हैं। वे ED द्वारा जारी किए गए समन को कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। इसके अलावा वह मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट से अग्रिम जमानत भी मांग सकते हैं।
आरोप
मामले में केजरीवाल पर क्या आरोप?
इस साल फरवरी में ED ने शराब नीति मामले में कोर्ट में दाखिल अपनी चार्जशीट में कहा था कि केजरीवाल ने मुख्य आरोपियों में से एक समीर महेंद्रू के साथ वीडियो कॉल पर बात की थी।
आरोप है कि कॉल में केजरीवाल ने समीर से कहा था, "विजय नायर मेरा बंदा है, आपको उस पर पूरा भरोसा करना चाहिए।"
विजय पर AAP के हवाले से कई लोगों से रिश्वत लेने का आरोप है। अभी वह सरकारी गवाह बन गए हैं।
शराब नीति
क्या है नई शराब नीति का मामला?
17 नवंबर, 2021 को दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति लागू की थी। इसमें सरकार को हटाकर शराब के ठेके निजी शराब कंपनियों को दिए गए थे।
उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस नीति में भ्रष्टाचार की आशंका जताते हुए इसकी CBI जांच कराने की सिफारिश की थी। विवाद के बाद जुलाई, 2022 में सरकार ने इस नीति को वापस ले लिया था।
मामले में 2 AAP नेता, मनीष सिसोदिया और सांसद संजय सिंह, गिरफ्तार हो चुके हैं।
आरोप
मामले में AAP सरकार पर क्या आरोप हैं?
दिल्ली की AAP सरकार पर कमीशन लेकर शराब की दुकानों का लाइसेंस लेने वालों को अनुचित फायदा पहुंचाने का आरोप हैं।
उस पर विदेशी शराब की कीमत में बदलाव करने और बीयर से आयात शुल्क हटाने का आरोप भी है, जिस कारण विदेशी शराब और बीयर सस्ती हो गईं और राजकोष को नुकसान हुआ।
सिसोदिया पर उपराज्यपाल की मंजूरी लिए बिना कोरोना महामारी का हवाला देकर 144.36 करोड़ रुपये की निविदा लाइसेंस फीस माफ करने का आरोप है।