क्या है पैंडोरा पेपर्स लीक का पूरा मामला और इसमें किन भारतीयों का नाम आया है?
पनामा पेपर्स के बाद अब पैंडोरा पेपर्स के लीक ने दुनियाभर के शक्तिशाली लोगों की वित्तीय अनियमितताओं को उजागर किया है और इनके जरिए सामने आया है कि कैसे नेताओं, कारोबारियों और खिलाड़ियों समेत अन्य अमीर लोगों ने ऑफशोर कंपनियों के जरिए विदेशों में लाखों करोड़ रुपये की संपत्ति छिपा रखी है। इस सूची में लगभग 380 भारतीयों के नाम भी शामिल हैं। चलिए आपको विस्तार से पैंडोरा पेपर्स के इस लीक के बारे में बताते हैं।
आखिर क्या है पैंडोरा पेपर्स लीक?
पैंडोरा पेपर्स 14 वैश्विक कॉर्पोरेट कंपनियों के लगभग 1.2 करोड़ दस्तावेजों का एक लीक है। इन कंपनियों ने टैक्स हेवन देशों में 29,000 ऑफशोर कंपनियों और निजी ट्रस्टों की स्थापना की और इनके जरिए लगभग 91 देशों के 35 मौजूदा और पूर्व वैश्विक राष्ट्राध्यक्षों, 330 से अधिक राजनेताओं, अधिकारियों और अन्य हस्तियों की संपत्ति विदेशों में छिपाई। टैक्स बचाने या मनी लॉन्ड्रिंग के लिए कम टैक्स वाले देशों में बनाई जाने वाली कंपनियों को ऑफशोर कंपनियां कहा जाता है।
किसके हाथ लगे दस्तावेज और किसने की जांच?
14 वैश्विक कंपनियों से लीक हुए ये दस्तावेज अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी स्थित इंटरनेशनल कॉन्सोर्शियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) के हाथ लग गए। 117 देशों के लगभग 150 मीडिया संस्थानों के लगभग 600 पत्रकारों ने इन दस्तावेजों की पड़ताल की जिसके बाद सैकड़ों शक्तिशाली लोगों का नाम सामने आया। ये वित्तीय दस्तावेजों का अब तक का सबसे बड़ा लीक है और पत्रकारों द्वारा की गई ये सबसे बड़ी वैश्विक जांच है।
जांच में किन वैश्विक नेताओं के नाम सामने आए?
पैंडोरा पेपर्स में जॉर्डन के राजा अब्दुल्लाह द्वितीय, चेक गणराज्य के प्रधानमंत्री आंद्रे बबीस, पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर, यूक्रेन के राष्ट्रपति लोडिमिर जेलेंस्की, केन्या के राष्ट्रपति उहुरू कीनियाटा और इक्वाडोर के राष्ट्रपति गुइलेर्मो लासो की छिपी हुई संपत्तियां सामने आई हैं। अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम एलीयेव और उनके परिवार की छिपी हुई संपत्ति का भी खुलासा हुआ है। इसके अलावा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के सहयोगियों का नाम भी सूची में शामिल है।
भारत के किन बड़े लोगों का नाम सामने आया?
पैंडोरा पेपर्स में भारत के लगभग 380 नागरिकों की विदेशों में ऑफशोर कंपनियां होने का खुलासा हुआ है। इनमें क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और उनके परिवार का नाम भी शामिल है जिन्होंने पनामा पेपर्स के खुलासे के बाद ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में अपनी ऑफशोर कंपनी बेच दी थी। बायोकॉन कंपनी की मालिक किरण मजूमदार शॉ के पति जॉन मैक्कुलम शॉ ने भी ऑफशोर कंपनियों में 8.5 करोड़ डॉलर और बायोकॉन के शेयर छिपा रखे हैं।
अनिल अंबानी और नीरव मोदी की बहन के नाम भी ऑफशोर कंपनियां
खुद को दिवालिया घोषित कर चुके कारोबारी अनिल अंबानी ने भी ऑफशोर कंपनियों के जरिए विदेश में अपनी संपत्ति छिपा रखी है। पैंडोरा पेपर्स के अनुसार, अनिल अंबानी के पास जर्सी, ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स और साइप्रस में 18 छिपी हुई ऑफशोर कंपनियां हैं। लगभग 14,000 करोड़ रुपये का पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाला करने वाले हीरा कारोबारी नीरव मोदी की बहन पूर्वी मोदी ने भी उसके देश से भागने से एक महीने पहले एक ऑफशोर कंपनी बनाई थी।
अमीरों ने ऑफशोर कंपनियों में कितने पैसे छिपाए हुए हैं?
दुनियाभर के शक्तिशाली लोगों ने ऑफशोर कंपनियों के जरिए कितने पैसे छिपा रखे हैं, इसको लेकर कोई ठोस आंकड़ा तो नहीं है, हालांकि ICIJ का कहना है कि ये आंकड़ा 5.6 ट्रिलियन डॉलर से लेकर 32 ट्रिलियन डॉलर तक हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का कहना है कि टैक्स हेवन और ऑफशोर कंपनियों के इस्तेमाल से दुनियाभर में सरकारों को हर साल 600 अरब डॉलर के टैक्स का घाटा होता है।