हाथरस मामला: मीडिया को मिली पीड़िता के घर जाने की इजाजत, जानिये क्या बोला परिवार
दो दिन की घेराबंदी के बाद हाथरस प्रशासन ने आखिरकार मीडिया को कथित तौर पर गैंगरेप का शिकार हुई 19 वर्षीय दलित लड़की के घर जाने की इजाजत दे दी है। उच्च जाति के चार युवकों ने पीड़िता के साथ कथित तौर पर गैंगरेप किया था। दो हफ्ते बाद पीड़िता ने दम तोड़ दिया था, जिसके बाद प्रशासन ने आधी रात को उसका अंतिम संस्कार कर दिया। आइये, जानते हैं कि इन सबको लेकर परिवार का क्या कहना है?
परिवार बोला- SIT की जांच पर भरोसा नहीं
शनिवार को कई घंटे की घेराबंदी के बाद मीडिया के लोगों को पीड़िता के गांव जाने और उसके परिजनों से बात करने की इजाजत मिली। मीडिया से बात करते हुए पीड़िता की भाभी ने कहा कि जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (SIT) के अधिकारी केवल परसों उनके घर आये थे। परिवार का आरोप है कि SIT भी मिली हुई है और उन्हें इसकी जांच पर भरोसा नहीं है।
परिवार के DM पर गंभीर आरोप
पीड़िता के परिवार ने हाथरस के जिलाधिकारी (DM) प्रवीन कुमार लक्षकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। परिवार का कहना है कि DM ने उनसे अभद्रता से बात की थी। उन्होंने कहा, "DM ने कहा कि अगर तुम्हारी बेटी कोरोना वायरस से मर जाती तो क्या तुम्हे मुआवजा मिलता?" परिवार का यह भी आरोप है कि उन्हें धमकाया जा रहा है, उनके फोन टैप किए जा रहे हैं और उन्हें बाहर निकलने से रोका जा रहा है।
DM ने की परिवार को धमकाने की कोशिश
पीड़िता की भाभी ने कहा कि जब उन्होंने पीड़िता का शव देखने की मांग की तो DM ने कहा कि आपको पता है कि पोस्टमार्टम के बाद शव का क्या हाल हो जाता है, हथौड़ा मारकर हड्डियां तोड़ दी जाती हैं। ऐसी लाश को देखने के बाद आप लोग 10 दिन तक खाना नहीं खा पाते। उन्होंने आगे कहा कि DM बार-बार कह रहे थे कि आप लोगों को मुआवजा तो मिल गया।
"पीड़िता का नहीं किया गया अंतिम संस्कार"
मीडिया से बात करते हुए पीड़िता की भाभी और मां ने कहा कि उनकी एक ही मांग है कि उन्हें न्याय मिलना चाहिए। पीड़िता की मां ने कहा कि वो आखिरी वक्त में अपनी बेटी का चेहरा भी नहीं देख सकती। वहीं पीड़िता की भाभी ने पुलिस और प्रशासन पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उस रात पीड़िता का अंतिम संस्कार नहीं हुआ था। उन्हें नहीं पता कि पुलिस ने किसका शव जलाया था।
परिवार ने नहीं की CBI जांच की मांग
पीड़िता के परिवार ने कहा कि जो पुलिसकर्मी उनके घर बैठते हैं वही आरोपियों के घर भी बैठते हैं। परिवार ने कहा कि उन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस और SIT की जांच पर भरोसा नहीं है। परिवार ने CBI जांच से भी इनकार किया है।
नार्को टेस्ट को तैयार नहीं है परिवार
उत्तर प्रदेश सरकार ने SIT की शुरुआती सिफारिशें मिलने के बाद मामले के दोनों पक्षों का नार्को टेस्ट कराने का फैसला किया है। परिवार का कहना है कि वो नार्को टेस्ट के लिए तैयार नहीं है। वो सच बोल रहे हैं और उनका नार्को टेस्ट नहीं होना चाहिए। परिवार ने मांग की कि इस मामले में आरोपियों, DM और दूसरे बड़े अधिकारियों का नार्को टेस्ट होना चाहिए।
यहां से शुरू हुआ पुरा मामला
चंदपा थाना के अंतर्गत आने वाले एक गांव की 19 वर्षीय दलित युवती का गांव के रहने वाले चार उच्च जाति के युवकों ने गत 14 सितंबर को कथित तौर पर गैंगरेप किया था। हमले में पीड़िता की रीढ़ की हड्डी टूट गई थी और उसकी जीभ कट गई थी। मंगलवार को उसने दिल्ली में दम तोड़ दिया। चौंकाने वाली बात यह रही कि पुलिस ने परिजनों को घर में बंद करके आधी रात में उसका अंतिम संस्कार कर दिया।