क्या है जाधवपुर विश्वविद्यालय में 'आजाद कश्मीर' के नारों का मामला, जिसमें TMC और वाम आमने-सामने?
क्या है खबर?
पश्चिम बंगाल का जाधवपुर विश्वविद्यालय एक बार फिर चर्चा में है। इस बार यहां की दीवारों पर 'आजाद कश्मीर' और 'फ्री फिलिस्तीन' लिखने से विवाद खड़ा हो गया है।
यह नारे विश्वविद्यालय के गेट नंबर 3 के पास दीवारों पर लिखे गए हैं। अभी यह पता नहीं चल सका है कि नारे किसने लिखे हैं, लेकिन तृणमूल छात्र परिषद इकाई और कम्युनिस्ट पार्टी की स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) ने एक-दूसरे पर आरोप लगाया है।
आइए जानते हैं पूरा मामला।
विवाद
1 मार्च से शुरू हुआ वाम और TMC विवाद
1 मार्च को विश्वविद्यालय में पश्चिम बंगाल कॉलेज और विश्वविद्यालय प्रोफेसर्स एसोसिएशन की वार्षिक आम बैठक थी, जिसमें वामपंथी छात्र संगठन विरोध कर रहे थे।
बैठक में शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु आए थे, जिनके काफिले की कार से 2 छात्र घायल हो गए।
इसके बाद बसु और प्रोफेसर ओमप्रकाश मिश्रा पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। मिश्रा तृणमूल कांग्रेस (TMC) से जुड़े हैं।
घटना के 9 दिन बाद जब मिश्रा विश्वविद्यालय पहुंचे तो वामपंथी छात्रों ने उनका विरोध किया।
नाराजगी
पुलिस के सादे कपड़ों में कैंपस में आने से वामपंथी छात्र नाराज
सोमवार 10 मार्च को मिश्रा के साथ पुलिसकर्मियों के सादे कपड़ों में विश्वविद्यालय परिसर में पहुंचने से वामपंथी छात्र नाराज हो गए।
छात्रों का दावा है कि सोमवार दोपहर बाद करीब 30 पुलिसकर्मी सादे कपड़ों में परिसर में आए थे, जो मिश्रा के साथ रहे।
SFI नेता सौर्यदिप्तो रॉय का कहना है कि छात्र इस घटना से काफी नाराज हैं। उनकी मांग है कि विश्वविद्यालय को सत्तारूढ़ TMC और राज्य प्रशासन के भय से मुक्त किया जाए।
बयान
SFI और TMC छात्र संगठन का विवादित नारों पर क्या कहना है?
इस पूरे घटना के बाद सोमवार को विवादित नारे सामने आए हैं, जिससे वाम और TMC एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं।
जाधवपुर में SFI नेता अभिनबा बसु का कहना है कि उनका संगठन अलगाववादी विचारों का समर्थन नहीं करता है, लेकिन वे भाजपा शासित राज्यों में अल्पसंख्यकों के दमन के खिलाफ हैं और फिलिस्तीन मुद्दे पर उनका रुख साफ है।
वहीं TMC नेता मिश्रा का कहना है कि कुछ अति वामपंथी छात्र संगठन विवादित नारों के पीछे हैं।
जानकारी
कॉलेज प्रशासन का क्या कहना है?
मामले में अखिल बंगाल विश्वविद्यालय शिक्षक संघ का कहना है कि मिश्रा की मौजूदगी के दौरान परिसर के अंदर सादे कपड़ों में पुलिस के होने की खबरें दुर्भाग्यपूर्ण थीं। विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पुलिस को परिसर में नहीं बुलाया गया था।