सब्जियों की बढ़ती कीमतों से अभी नहीं मिलेगी राहत, बारिश और बुआई में देरी है कारण
क्या है खबर?
देश में बढ़ती सब्जियों की कीमतों से अभी राहत मिलने की उम्मीद कम है।
सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि मानसून की बारिश से फसल खराब हो गई और बुआई में देरी के कारण सब्जियों की कीमतें और बढ़ेंगी।
आंकड़ों से पता चलता है कि सब्जियों का समग्र उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में 6 प्रतिशत भार है और सब्जियों की कीमतें जून महीने में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंची हैं, जो महीने-दर-महीने 12 प्रतिशत की दर से बढ़ रही हैं।
बयान
इस साल अक्टूबर तक सब्जियां मिलेंगी महंगी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सब्जियों की कीमतें आम तौर पर अगस्त से कम हो जाती हैं, जब फसल बाजार में आती है। इस साल सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि अक्टूबर तक सब्जियों की लागत ऊंची रहेगी क्योंकि आपूर्ति कम है।
मुंबई के एक सब्जी व्यापारी अनिल पाटिल ने कहा, "मानसून की बारिश लगातार सब्जियों की आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर रही है और इस साल में लंबे समय तक सब्जियों के कीमतें ऊंची रहने के आसार हैं।"
महंगाई
अर्थशास्त्री बोले- आपूर्ति बढ़ाने के खोजने होंगे उपाय
IDFC फर्स्ट बैंक के अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा, "खाद्य कीमतों में वृद्धि को कम करने के लिए आपूर्ति बढ़ाने के उपाय खोजने होंगे। भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) को दिसंबर, 2023 तक महंगाई दर कम होने की उम्मीद है।"
उनका कहना है कि मानसून में सब्जियों की खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी के कारण जुलाई महीने में महंगाई दर साल के अपने उच्चतम स्तर पर रहेंगी और RBI ने भी महंगाई दर बढ़ने की संभावना जताई है।
टमाटर
पिछले 3 महीने रिकॉर्ड दर से बढ़े टमाटर के दाम
पिछले 3 महीनों में टमाटर की कीमतें थोक बाजार में 1,400 प्रतिशत से अधिक बढ़कर रिकॉर्ड 140 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं, जिससे लोगों ने टमाटर की खरीदारी कम कर दी है।
इसी बीच महंगाई से लोगों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार रियायती दरों पर टमाटर उपलब्ध करवा रही है।
जुलाई के दूसरे सप्ताह से दिल्ली, लखनऊ, पटना समेत कई शहरों में सहकारी समितियों के माध्यम से 80 रुपये प्रति किलोग्राम टमाटर बेचा जा रहा है।
अर्थशास्त्रियों
RBI का 2024 मध्य तक ब्याज दरें ऊंची रखने का अनुमान- अर्थशास्त्री
HSBC के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि खाद्य आपूर्ति में व्यवधान और इसके परिणामस्वरूप उच्च खाद्य कीमतों के कारण खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में 6.5 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है, जो इस साल का उच्चतम स्तर है और यह RBI की 2 से 6 प्रतिशत की बीच की तय दर से ऊपर है।
ऐसे में अर्थशास्त्रियों को अब उम्मीद है कि 2024 के मध्य तक RBI अपनी ब्याज दरें ऊंची बनाए रखेगा।