'वंदे मातरम' पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख अरशद मदनी बोले- मर जाना मंजूर है
क्या है खबर?
भारत के राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' के 150वीं वर्षगांठ पर चल रही बहस के बीच जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख अरशद मदनी का बयान आया है। उन्होंने मंगलवार को सोशल मीडिया पर लिखा कि उन्हें किसी के 'वंदे मातरम' पढ़ने या गाने पर आपत्ति नहीं है, लेकिन मुसलमान केवल एक अल्लाह की इबादत करता है। उन्होंने कहा कि हमें मर जाना स्वीकार है, लेकिन शिर्क (खुदा के साथ किसी को शामिल करना) कभी स्वीकार नहीं है।
बयान
क्या बोले अरशद मदनी?
दारुल उलूम देवबंद के प्रधानाचार्य और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मदनी ने एक्स पर लिखा, 'हमें किसी के वंदे मातरम पढ़ने या गाने पर आपत्ति नहीं है, लेकिन मुसलमान केवल एक अल्लाह की इबादत करता है और अपनी इबादत में अल्लाह के सिवा किसी दूसरे को शामिल नहीं कर सकता। वंदे मातरम का अनुवाद शिर्क से संबंधित मान्यताओं पर आधारित है, इसके 4 श्लोकों में देश को देवता मानकर दुर्गा माता से तुलना की गई है।'
बयान
वतन से प्रेम करना अलग और उसकी पूजा करना अलग बात- मदनी
मदनी ने आगे लिखा, 'मां, मैं तेरी पूजा करता हूं, यही वंदे मातरम् का अर्थ है। यह किसी भी मुसलमान की धार्मिक आस्था के खिलाफ है। इसलिए किसी को उसकी आस्था के खिलाफ कोई नारा या गीत गाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। क्योंकि भारत का संविधान हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25) और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19) देता है। वतन से प्रेम करना अलग बात है, उसकी पूजा करना अलग बात है।'
बयान
मरना स्वीकार है- मदनी
मदनी ने आगे लिखा, 'मुसलमानों की देशभक्ति के लिए किसी के प्रमाण-पत्र की आवश्यकता नहीं। स्वतंत्रता संग्राम में उनकी कुर्बानियां इतिहास के सुनहरे पन्नो में दर्ज हैं। हम एक खुदा (अल्लाह) को मानने वाले हैं, अल्लाह के सिवा न किसी को पूजनीय मानते हैं और न किसी के आगे सजदा करते हैं। हमें मर जाना स्वीकार है, लेकिन शिर्क कभी स्वीकार नहीं!' बता दें कि सोमवार को लोकसभा में 'वंदे मातरम' को लेकर 10 घंटे बहस हुई थी।
ट्विटर पोस्ट
अरशद मदनी का पोस्ट
हमें किसी के “वंदे मातरम्” पढ़ने या गाने पर आपत्ति नहीं है, लेकिन मुसलमान केवल एक अल्लाह की इबादत करता है और अपनी इबादत में अल्लाह के सिवा किसी दूसरे को शामिल नहीं कर सकता। और “वंदे मातरम्” का अनुवाद शिर्क से संबंधित मान्यताओं पर आधारित है, इसके चार श्लोकों में देश को देवता…
— Arshad Madani (@ArshadMadani007) December 9, 2025