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उत्तराखंड: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्कूलों में अनिवार्य किया भगवद गीता का पाठ
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्कूलों में अनिवार्य किया भगवद गीता का पाठ

उत्तराखंड: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्कूलों में अनिवार्य किया भगवद गीता का पाठ

Dec 21, 2025
06:21 pm

क्या है खबर?

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में भगवद गीता के श्लोकों का पाठ करना अनिवार्य होगा। समाचार एजेंसी ANI के अनुसार, इस पहल का उद्देश्य छात्रों को भारतीय संस्कृति से जोड़ना और उनमें मजबूत नैतिक मूल्यों का विकास करना है। अब स्कूलों में प्रत्येक सुबह की प्रार्थना सभा में छात्रों को भगवद गीता का एक श्लोक और उसका अर्थ समझाया जाएगा। आइए पूरी खबर नजर डालते हैं।

पाठ्यक्रम

गीता और रामायण को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा

यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के कार्यान्वयन के अनुरूप है। इस नीति के तहत, भगवद गीता और रामायण दोनों को उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। हालांकि, राज्य सरकार का दावा है कि इन्हें धार्मिक ग्रंथों के रूप में नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण और भावनात्मक विकास के साधन के रूप में पढ़ाया जाएगा। बता दें कि मुख्यमंत्री धामी उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता मुखर रूप से दोहराते रहे हैं।

प्रतिक्रिया

गीता पाठ की पहल पर आईं मिली-जुली प्रतिक्रियाएं

मुख्यमंत्री धामी के इस फैसले पर विभिन्न पक्षों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई हैं। उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के मुफ्ती शमून कासमी ने इसे सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम बताते हुए इसका स्वागत किया है। हालांकि, कुछ शिक्षक समूहों ने मुख्यमंत्री के इस फैसले पर चिंता भी व्यक्त की है। उनका कहना है कि इससे सरकारी स्कूलों में धार्मिक शिक्षा देने की प्रवृत्ति में इजाफा हो सकता है, जो भारतीय संविधान द्वारा प्रतिबंधित है।

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संबोधन

महाकौथिग सांस्कृतिक कार्यक्रम में धामी का संबोधन

मुख्यमंत्री धामी ने नोएडा में पार्वतीया कल्चरल सोसाइटी द्वारा आयोजित महाकौथिग सांस्कृतिक कार्यक्रम को भी संबोधित किया। उन्होंने राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंडियों की लोक संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने के लिए प्रशंसा की। उन्होंने कहा, "ऐसे कार्यक्रम हमारी लोक परंपराओं, कला रूपों और सांस्कृतिक मूल्यों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में इस तरह के कार्यक्रम होने रहने चाहिए।"

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