पुलिस ने विकास के गुर्गे को पहले बताया पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल, अब लिया यू-टर्न
विकास दुबे के गैंग में शामिल एक गुर्गे पर उत्तर प्रदेश पुलिस के यू-टर्न ने उसे गिरफ्तार कर चुके महाराष्ट्र के आतंकवाद विरोधी दस्ते (ATS) को सकते में डाल दिया है। पहले उत्तर प्रदेश पुलिस ने अरविंद उर्फ गुड्डन त्रिवेदी नामक इस गुर्गे का नाम कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में वांछितों की सूची में शामिल किया, लेकिन अब कह रही है कि वह पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल नहीं था। आइए आपको पूरा मामला बताते हैं।
पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद पुलिस ने जारी की थी उसके 15 सहयोगियों की सूची
कानपुर के बिकरु गांव में 2 जुलाई की रात विकास दुबे को पकड़ने गए आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद 3 जुलाई को उत्तर प्रदेश पुलिस ने इसमें शामिल रहे विकास के 15 सहयोगियों की एक सूची जारी की थी। इस सूची में सभी आरोपियों की तस्वीर लगी हुई थी और उनके नाम भी लिखे हुए थे। इसमें आठवें नंबर पर गुड्डन त्रिवेदी का नाम था और पुलिस ने उस पर 25,000 रुपये का इनाम भी घोषित किया था।
पुलिस के अलर्ट के बाद महाराष्ट्र ATS ने किया गुड्डन को गिरफ्तार
पुलिस ने गुड्डन के घर पर दो बार दबिश भी दी, लेकिन वह घटना के बाद से ही परिवार समेत फरार चल रहा था। इस बीच उत्तर प्रदेश पुलिस के अलर्ट के आधार पर महाराष्ट्र ATS ने शनिवार को गुड्डन और उसके ड्राइवर सोनू तिवारी को गिरफ्तार कर लिया। ATS को ठाणे में विकास के कुछ सहयोगियों के छिपे होने की सूचना मिली थी और पुलिस ने शनिवार तड़के छाप मार गुड्डन और उसके ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया।
अब उत्तर प्रदेश पुलिस ने कहा- पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल नहीं था गुड्डन
गुड्डन की गिरफ्तारी के बाद अब उत्तर प्रदेश पुलिस ने यू-टर्न ले लिया है और उसका कहना है कि वह पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल नहीं था। प्रेस नोट जारी करते हुए पुलिस ने कहा है कि गुड्डन विकास दुबे की गैंग का पुराना सदस्य था और वह पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में वांछित नहीं था। नोट में कहा गया है कि मामले की और गहराई से जांच की जा रही है।
1998 में विकास के संपर्क में आया था गुड्डन
कानपुर के रूरा का रहने वाला गुड्डन रूरा से जिला पंचायत सदस्य है और उसकी पत्नी कुढ़वा गांव की प्रधान है। वह 1998 में पहली बार विकास के संपर्क में आया था और 2001 तक उसका बॉडीगार्ड रहा। 2001 में थाने में घुसकर राज्यमंत्री संतोष शुक्ल की हत्या में विकास के साथ-साथ वह भी आरोपी था। विकास के दबदबे का फायदा उठाकर उसने इलाके में अपनी पैठ जमाई और जिला पंचायत चुनाव जीतने में कामयाब रहा।
शुक्रवार को मारा गया था विकास दुबे
गौरतलब है कि गुड्डन की गिरफ्तारी से एक दिन पहले ही शुक्रवार सुबह पुलिस ने एक एनकाउंटर में विकास दुबे को ढेर कर दिया था। गुरूवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन में गिरफ्तारी के बाद उसे कानपुर लाया जा रहा था और इसी दौरान जिस गाड़ी में वह बैठा था, वह कानपुर के सचेंडी के पास पलट गई। विकास ने मौके का फायदा उठा बेहोश पुलिसकर्मियों की बंदूक लेकर भागने की कोशिश की और जबावी फायरिंग में मारा गया।