हाथरस भगदड़ मामले में न्यायिक आयोग के सामने लखनऊ पहुंचे भोले बाबा, दुकानें बंद कराई गई
उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि (सूरजपाल) के सत्संग में भगदड़ से 123 लोगों की मौत के मामले में गुरुवार को न्यायिक जांच आयोग की सुनवाई हुई। इस दौरान भोले बाबा कड़ी सुरक्षा के बीच भाजपा विधायक बाबूराम पासवान के साथ लखनऊ के हजरतगंज स्थित आयोग के दफ्तर पहुंचे थे। बाबूराम पीलीभीत के पूरनपुर विधानसभा से विधायक हैं। सुनवाई के दौरान पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी थी और दुकानें बंद करवाई थी।
1 किलोमीटर तक दुकानें बंद की गईं
भोले बाबा के पहुंचने पर पुलिस ने हजरतगंज में आयोग के दफ्तर के आसपास 1 किलोमीटर तक का इलाका सील कर दिया था और जनपथ समेत सभी दुकानें बंद करवाई थी। जगह-जगह रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) लगी थी। इस दौरान उनके अनुयायी भी पहुंचे थे। पुलिस को बैरिकेडिंग लगाकर लोगों को रोकना पड़ा। बाबा के 2 घंटे से ज्यादा समय तक पूछताछ की गई। बाबा के वकील एपी सिंह ने 1,000 लोगों का एफिडेविट आयोग को सौंपा है।
न्यायिक जांच में हैं 3 लोग शामिल
न्यायिक जांच आयोग की टीम में 3 लोग शामिल हैं, जिसमें हाई कोर्ट से सेवानिवृत्त और पूर्व लोकायुक्त सचिव बृजेश कुमार श्रीवास्तव, सेवानिवृत्त IPS अधिकारी और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त भवेश कुमार सिंह और सेवानिवृत्त IAS और राज्यपाल के पूर्व प्रमुख सचिव हेमंत राव हैं।
आरोपपत्र में नहीं है बाबा का नाम
हाथरस भगदड़ मामले में पुलिस ने 3,200 पेज का आरोपपत्र कोर्ट में दाखिल किया है, जिसमें 11 लोगों को आरोपी बनाया गया है। आरोपपत्र में बाबा का नाम नहीं शामिल है। विशेष जांच टीम (SIT) ने भी अपनी रिपोर्ट में बाबा को क्लीनचिट दी है और 6 अधिकारियों को लापरवाह बताया है। वकील एपी सिंह का कहना है कि आयोग ने बाबा को नोटिस भेजकर बयान दर्ज करने को बुलाया था। उन्हें पूछताछ के लिए दोबारा नहीं बुलाया गया है।
हादसे में हुई थी 123 लोगों की मौत
2 जुलाई को हाथरस के सिकंदराराऊ में भोले बाबा के सत्संग के समापन पर बाहर निकलते समय भगदड़ मच गई थी। बताया जाता है कि सत्संग के बाद श्रद्धालु बाबा के काफिले के पीछे उनके चरणों की धूल लेने के लिए दौड़े। इस दौरान आयोजकों की लापरवाही से भगदड़ मची और कुचलने से 123 लोगों की मौत हो गई। घटना की जांच के लिए हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में टीम गठित की गई है।