पूर्व नौकरशाहों का योगी आदित्यनाथ को पत्र, लिखा- नफरत की राजनीति का केंद्र बना उत्तर प्रदेश
देश के 100 से अधिक पूर्व नौकरशाहों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020' वापस लेने की मांग की है। इस पत्र पर पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव और पूर्व प्रधानमंत्री सलाहकार टीकेए नायर समेत 104 पूर्व IAS, IPS, IFS अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं। इनका कहना है कि इस कानून ने उत्तर प्रदेश को नफरत, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बना दिया है।
क्या है विवादित अध्यादेश के प्रावधान?
इस अध्यादेश में बहला-फुसलाकर या जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए प्रावधान किए गए हैं। ऐसा करने पर 10 साल तक की सजा और 25,000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। सामूहिक धर्म परिवर्तन पर 10 साल तक की जेल और 50,000 रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है। साथ ही विवाह के लिए धर्म परिवर्तन करने के लिए दो महीने पहले जिलाधिकारी को इसकी सूचना देनी होगी और मंजूरी मिलने का इंतजार करना होगा।
नौकरशाहों ने की अध्यादेश वापस लेने की मांग
पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले नौकरशाहों ने इस 'गैरकानूनी अध्याधेश' को वापस लेने की मांग की है। पत्र में लिखा गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत सभी नेताओं को उस संविधान के बारे में दोबारा जानने की जरूरत है, जिसे उन्होंने बचाने की शपथ ली है। इसमें आगे लिखा गया है कि उत्तर प्रदेश एक समय गंगा-जमुना तहजीब को सींचने वाला था, लेकिन अब यह नफरत, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बन चुका है।
सरकारी संस्थाओं ने किए हैं युवाओं के प्रति अत्याचार- पत्र
नौकरशाहों ने पत्र में लिखा है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के संस्थाओं ने राज्य के युवाओं के प्रति कई गंभीर अत्याचार किए हैं। ये युवा एक आजाद देश के आजाद नागरिक के तौर पर अपनी जिंदगी जी रहे थे।
अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने की कई घटनाओं का जिक्र
पत्र में राज्य में हुई कई उन घटनाओं का जिक्र किया गया है, जहां अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया है। इसमें मुरादाबाद की उस घटना की भी जिक्र है, जहां एक मुस्लिम युवक को इस आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था कि उसने जबरदस्ती हिंदू लड़की से शादी की है। बाद में अदालत ने मामले में आरोपी बनाए गए युवक को रिहा कर दिया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस पर कई सवाल उठे थे।
संविधान को कमजोर कर रही उत्तर प्रदेश सरकार- पत्र
नौकरशाहों ने अपने इस पत्र में कहा है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट समेत देश के कई हाई कोर्ट यह बात कह चुके हैं कि कोई भी नागरिक अपनी मर्जी से अपना जीवनसाथी चुन सकता है। संविधान में उसको यह अधिकार दिया गया है, लेकिन उत्तर प्रदेश संविधान को कमजोर कर रहा है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के 'लव जिहाद' को रोकने के लिए लाए गए इस अध्यादेश पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
एक महीने में हो चुकी हैं 35 गिरफ्तारियां
'लव जिहाद' रोकने के लिए लाए गए उत्तर प्रदेश सरकार के विवादित अध्यादेश को लागू हुए एक महीने से थोड़ा ज्यादा समय हुआ है। इस दौरान इसे लेकर विवाद भी हुआ है और इसके दुरुपयोग के कई मामले सामने आमने आए हैं। 27 नवंबर को प्रभाव में आए इस अध्यादेश के अंतर्गत अब तक लगभग एक दर्जन FIR दर्ज हुई हैं और 35 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें से सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां एटा जिले में हुई हैं।