वाराणसी जा रहे यात्रियों की दी गईं मोदी की तस्वीर वाली टिकटें, दो रेलवे कर्मचारी निलंबित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर वाली रेलवे टिकट यात्रियों को देने के मामले में रेलवे ने अपने दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। मोदी की तस्वीर के साथ उनकी एक योजना का प्रचार करने वाली यह टिकटें बाराबंकी से वाराणसी जाने वाली गंगा सतलुज एक्सप्रेस के कई यात्रियों को दी गई थी। इसे आचार संहिता का उल्लंघन करार देते हुए चुनाव आयोग ने रेलवे विभाग से जवाब तलब किया था।
यात्रियों ने की चुनाव आयोग से शिकायत
मामला 13 अप्रैल का है। चुनाव आयोग के पास इसकी शिकायत दर्ज कराने वाले यात्री मोहम्मद शकबर ने समाचार एजेंसी ANI को बताया, "मैंने अपनी आंटी के लिए बाराबंकी से वाराणसी तक की टिकट ली। मैं यह देखकर हैरान रह गया कि टिकट पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर थी। यह आचार संहिता का उल्लंघन है, इसलिए मैंने चुनाव आयोग के पास इसकी शिकायत दर्ज करा दी।" उनके अलावा कई अन्य यात्रियों को भी यह टिकट जारी की गई।
प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर के साथ था आवास योजना का विज्ञापन
टिकट के पीछे की तरफ प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर थी और इसके साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना का विज्ञापन भी था। आचार संहिता का उल्लंघन करती टिकट जारी करने पर रेलवे ने सफाई देते हुए कहा, "जब 13 अप्रैल को शिफ्ट बदली तो प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर वाली पुरानी टिकट रोल का गलती से इस्तेमाल हो गया। नई और पुरानी दोनों रोल एक समान होती हैं, इसलिए कर्मचारी ने गलती से पुराने रोल को उठा लिया।"
रेलवे की सफाई, गलती से प्रयोग हुई पुरानी रोल
'शताब्दी एक्सप्रेस' में बंट चुके हैं मोदी की तस्वीर वाले कप
वैसे यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री मोदी का प्रचार करने के लिए रेलवे पर सवाल उठे हैं। इससे पहले 'शताब्दी एक्सप्रेस' में प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर वाले कप में चाय बांटे जाने पर विवाद हो गया था। इन कप पर उनकी तस्वीर के साथ 'मैं भी चौकीदार' लिखा हुआ था। इसे लेकर चुनाव आयोग को शिकायत की गई थी और आयोग की सख्ती के बाद ट्रेन में चाय देने वाले वेंडर ने यह कप हटा लिए थे।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद सख्त नजर आ रहा चुनाव आयोग
बता दें कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के चुनाव आयोग को फटकार लगाने के बाद से ही आयोग सख्त नजर आ रहा है। इससे पहले वह योगी आदित्यनाथ, मायावती, मेनक गांधी और आजम खान के विवादित बयानों के कारण उनके प्रचार करने पर अस्थाई प्रतिबंध लगा चुका है। जहां योगी और आजम पर तीन दिन का प्रतिबंध लगाया गया है, वहीं मायावती और मेनका के प्रचार करने पर दो दिन का प्रतिबंध लगाया गया है।