पंजाब: अस्पतालों में उपचार नहीं मिलने पर सड़क किनारे हुई डिलीवरी, दो पुलिसकर्मियों ने की मदद
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए वर्तमान में देशभर में लॉकडाउन चल रहा है। सार्वजनिक परिवहन सुविधा सहित अन्य गैर जरूरी सेवाएं बंद हैं और अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों के उपचार की तैयारी चल रही है। इससे अन्य मरीज और गर्भवती महिलाओं को परेशानी झेलनी पड़ रही है। ताजा मामला सामने आया है पंजाब के धर्मकोट से, जहां तीन अस्पतालों में उपचार नहीं मिलने पर एक महिला ने सड़क किनारे ही बच्चे को जन्म दे दिया।
प्रसव पीड़ा होने पर गए थे अस्पताल, लेकिन नहीं मिले डॉक्टर
धर्मकोट निवासी हरमेश की पत्नी ज्योति (30) को शुक्रवार रात 9 बजे प्रसव पीड़ा शुरू होने पर उसका पति बाइक पर उसे पास स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले गया, लेकिन वहां कोई चिकित्सक नहीं मिला। इसके बाद वह दो निजी अस्पतालों में गया, लेकिन वहां भी दरवाजे बंद मिले। वह करीब तीन घंटे तक चिकित्सा सहायता खोजता रहा, लेकिन सफलता नहीं मिली। आखिरकार उसे सड़क पर ही डिलीवरी कराने को मजबूर होना पड़ा।
चिकित्सा अधिकारियों ने कही चिकित्साकों की कोरोना में ड्यूटी लगाने की बात
धर्मकोट के विरष्ठ चिकित्सा अधिकारी राकेश बाली ने बताया कि क्षेत्र के प्रथमिक स्वास्थ्य केंद्रो पर तैनात चिकित्सकों की ड्यूटी पास के जेनेर उपखंड में कोरोना मरीजों के उपचार में लगा रखी है। ऐसे में धर्मकोट अस्पताल में रात में कोई भी चिकित्सक नहीं था।
रात्रि गश्त पर निकले दो पुलिसकर्मियों ने की ज्योति की मदद
हरमेश ने बताया कि अस्पतालों में उपचार नहीं मिलने पर ज्योति की तबीयत बिगड़ गई। उसने रास्ते में रखी एक बेंच पर अपनी पत्नी को लिटा दिया। उसी दौरान गश्त ड्यूटी पर आए सहायक उप निरीक्षक बिक्कर सिंह और कांस्टेबल सुखजिंदर सिंह ने उन्हें देख लिया। वह मदद को आगे आए और अपनी एक परिचित नर्स और पड़ोस की अन्य महिलाओं को बुलाकर लाए। उन्होंने सड़क किनारे सफल डिलेवरी करा दी। जिसमें उसकी पत्नी ने बेटे को जन्म दिया।
हरमेश ने दोनों पुलिसकर्मियों को बताया फरिश्ता
पत्नी और बच्चे सहित घर पहुंचने के बाद हरमेश ने कहा कि दोनों पुलिसकर्मी उनके लिए फरिश्ते बनकर आए थे। वह जीवन भर उनका ऐहसान नहीं चुका सकते हैं। उसने बताया कि धर्मकोट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के दरवाजे बंद थे। दोनों निजी नर्सिंग होम संचालकों ने भी दरवाजा खोलने से इनकार कर दिया। उसने 108 एम्बुलेंस को भी फोन किया, लेकिन उसके चालक ने किसी अन्य मरीज को ले जाने की बात कहकर आने मे असमर्थता जता दी।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है घटना का वीडियो
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें पुलिसकर्मियों को यह कहते सुना जा सकता है, 'कोई जल्दी मत करना, मां और बच्चे को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए...आप भगवान का शुक्रियादा करो, हमारा नहीं।'
अस्पताल खोजने का प्रयास करते तो महिला जिंदा नहीं बचती- बिक्कर सिंह
सहायक उप निरीक्षक बिक्कर सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने कुछ गलत होने की आशंका से बाइक रोकी थी। महिला की हालत बहुत खराब थी। उसको देखकर उन्होंने उसकी मदद करने का निर्णय किया था। उन्होंने बताया कि हरमेश अस्पताल पहुंचने की जुगत कर रहा था, लेकिन यदि उस समय वो अस्पताल पहुंचने के प्रयास में देरी कर देते तो शायद महिला और बच्चे को जिंदा नहीं बचाया जा सकता था।
मध्य प्रदेश में भी सड़क किनारे हुई डिलीवरी
लॉकडाउन में पंजाब के धर्मकोट ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के अलीराजपुर गांव में भी एक गर्भवती महिला की सड़क किनारे डिलीवरी हुई है। वहां भी अस्पताल जाते समय महिला के तेज लेबर पेन शुरू हो गया। इस पर पति ने उसे सड़क किनारे लिटा दिया। उसी दौरान वहां पहुंचे एक कांस्टेबल ने आस-पास की महिलाओं को बुलाकर महिला की डिलीवरी कराई। उसके बाद महिला ने बच्ची को जन्म दिया और बाद में उन्हें अस्पताल पहुंचाया।
गांवों की सीमाएं सील होने से हो रही गर्भवती महिलाओं को परेशानी
लॉकडाउन में छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में बाहरी आदमी को गांवों में आने से रोकने के लिए ग्रामीणों ने सीमा पर नाके लगाकर रास्तों को बंद कर रखा है। ऐसे में रात में किसी गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होने के बाद अस्पताल ले जाने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ के छिंदडीह में गुरुवार रात को गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाने के लिए लोगों को नाका हटाने में परेशानी हुई थी।