उत्तर प्रदेश: विकास दुबे के एनकाउंटर पर ग्रामीणों ने मनाई खुशी, बोले- मिल गई नई आजादी
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर विकास दुबे की पुलिस एनकाउंटर में हुई मौत ने कानपुर के शिवली गांव में खुशियों की बहार ला दी है।
उसकी मौत की सूचना मिलने के बाद ग्रामीणों ने कहा कि अब वह उसके "आतंक" से मुक्त हो गए हैं। इस दौरान ग्रामीणों ने एक-दूसरे को मिठाई बांटने के साथ-साथ संगीत कार्यक्रम का भी आयोजित किया।
ग्रामीणों ने कार्रवाई के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस का आभार जताते हुए कहा कि दुबे लंबे समय से बेकाबू था।
पृष्ठभूमि
विकास दुबे को उसके अपराधों के लिए कभी नहीं मिली थी सजा
दुबे ने अपराध की दुनिया में साल 2000 में कदम रखा था। वह कई हत्या और अपहरण के मामलों में शामिल रहा है।
साल 2001 में उसने पुलिस थाने में घुसकर एक भाजपा नेता की गोली मारकर हत्या की थी, लेकिन वह सजा से बच गया।
उसके आत्मसमर्पण करने के बाद 25 चश्मदीद गवाहों ने अपने बयान बदल दिए। उसने सालों तक पुलिस और राजनेताओं का लाभ उठाया, लेकिन गत सप्ताह किए गया जघन्य अपराध ने उसका अंत ला दिया।
एनकाउंटर
पुलिस ने एनकाउंटर में किया दुबे के आतंकों का अंत
गत 2 जुलाई की रात को पुलिस ने दुबे और उसके साथियों की गिरफ्तारी के लिए बिकरू गाँव में दबिश दी तो उसने और उसके साथियों ने पुलिस टीम पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी।
इसमें एक DSP सहित आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। इसके बाद पुलिस ने जाल बिछाया और उसे उसे मध्य प्रदेश में गिरफ्तार कर लिया गया।
शुक्रवार को उज्जैन से कानपुर लाते समय उसने भागने का प्रयास किया और पुलिस ने उसका एनकाउंट कर दिया।
बयान
दुबे की मौत के बाद महसूस कर रहे हैं आजादी- ग्रामीण
इस एनकाउंटर पर कई तरह से सवाल खड़े किए जा रहे हैं। आरोप यह भी लगाए जा रहे हैं कि जो लोग उसकी मदद करते थे उन्होंने खुद के बचाव के लिए उसे मरवा दिया।
हालांकि, शिवाली गांव के ग्रामीणों के विचार इससे विपरीत हैं। एक ग्रामीण ने समाचार एजेंसी ANI को बताया, "हम स्वतंत्र महसूस कर रहे हैं। पहले हमें डर लगता था कि वह कुछ भी कर सकता है। हम उत्तर प्रदेश STF कर्मचारियों को बधाई देते हैं।"
जानकारी
खुशी से झूमे ग्रामीणों ने आयोजित किया संगीत कार्यक्रम
ग्रामीण लल्लन बाजपेयी ने कहा, "हर कोई बहुत खुश है और हम संगीत (मनोरंजन) की व्यवस्था कर रहे हैं। मैं दुबे के साथ मुठभेड़ के दौरान मारे गए आठ पुलिसकर्मियों को सलाम करता हूं।" इससे पहले मृत पुलिसकर्मियों के परिजनों ने भी खुशी जताई थी।
परिवार
दुबे के अंतिम संस्कार में पत्नी ने कहा- वह इसका हकदार था
चौंकाने वाली बात यह है कि कानपुर में कड़ी सुरक्षा के बीच हुए दुबे के अंतिम संस्कार में उसके परिवार ने भी आंसू नहीं बहाए।
इस दौरान जब उसकी पत्नी ऋचा दुबे से पूछा गया कि क्या दूबे इस मौत का हकदार था तो उसने गुस्से में आकर कहा, "हाँ हाँ हाँ। विकास (दुबे) ने गलत किया और वह इस मौत का हकदार था।"
उसके पिता राम कुमार दुबे ने भी कहा कि राज्य प्रशासन ने सही काम किया है।
बयान
अगर उसने हमारी बात सुनी होती तो वह इस तरह नहीं मरता- विकास के पिता
विकास दुबे के पिता ने कहा कि उनके बेटे ने कभी उनकी बात नहीं सुनी और यही वजह थी कि उनकी पैतृक संपत्ति जमीन पर आ गई।
पिता ने समाचार एजेंसी को बताया, "हर व्यक्ति की सुरक्षा करना मुख्यमंत्री का कर्तव्य है। पुलिस इसका एक विस्तार है। विकास ने पुलिसकर्मियों पर हमला कर उनकी जान ले ली। इसके लिए उसे कभी भी माफ नहीं किया जा सकता। मैं उनके अंतिम संस्कार में भी हिस्सा नहीं लूंगा।"