तालिबान ने भारत आ रहे 60 सिखों को गुरु ग्रंथ साहिब लाने से रोका
क्या है खबर?
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने सिखों की पवित्र धार्मिक पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब को देश से बाहर ले जाने पर रोक लगा दी है।
अफगानिस्तान के सूचना एवं संस्कृति मंत्रालय द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं।
इसी के चलते शनिवार को गुरु ग्रंथ साहिब के साथ भारत लौट रहे 60 सिखों को हवाई अड्डे पर ही रोक लिया गया।
इसको लेकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने आपत्ति जताई है।
प्रकरण
सूचना एवं संस्कृति मंत्रालय ने क्या जताई थी आपत्ति?
11 सितंबर को 60 सिखों के एक समूह के गुरु ग्रंथ साहिब के साथ दिल्ली पहुंचे का कार्यक्रम था। इस दौरान अफगानिस्तान के सूचना एवं संस्कृति मंत्रालय ने गुरु ग्रंथ साहिब को अफगानिस्तान की विरासत बताते हुए उसे बाहर ले जाने पर आपत्ति जता दी।
इसके बाद विदेश मंत्रालय ने इस पर रोक संबंधी आदेश जारी कर दिया।
मंत्रालय ने कहा कि देश में रहने वाले सभी सिखों को आदेशों की पालना करने के लिए कहा गया है।
विरोध
SGPC ने किया तालिबान के आदेश का विरोध
तालिबान के इस आदेश अमृतसर स्थित शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कड़ी निंदा करते हुए आदेश को सिखों के धार्मिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप करार दिया है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ सिखों और उनके पवित्र गुरुद्वारा साहिबों पर हमले हो रहे हैं और दूसरी तरफ उन्हें गुरु ग्रंथ साहिब लाने से रोका जा रहा है। अफगानिस्तान में सिखों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हस्तक्षेप करना चाहिए।
सुझाव
सिखों की सुरक्षा सुनिश्चित करे तालिबान सरकार- धामी
धामी ने कहा कि अगर अफगान सरकार वास्तव में सिखों की परवाह करती है तो उसे उनके जीवन, संपत्ति और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए, न कि उन पर और उनके पूजा स्थलों पर हमले कर उन्हें परेशान करना चाहिए। अल्पसंख्यक अफगान सिखों को अपने ऊपर होते अत्याचारों के कारण देश छोड़ने को मजबूर होना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में सिखों को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है।
बयान
कौन करेगा गुरु ग्रंथ साहिब और गुरुद्वारों की देखभाल?
धामी ने कहा, "यह चिंता का विषय है कि अगर सिख अफगानिस्तान में नहीं रहेंगे, तो वहां श्री गुरु ग्रंथ साहिब और गुरुद्वारा साहिबों की देखभाल कौन करेगा? इसी कारण सिख भारत आते समय गुरु ग्रंथ साहिब को साथ ला रहे हैं।"
मुद्दा
इंडियन वर्ल्ड फोरम ने भी उठाया मुद्दा
काबुल में इंडियन वर्ल्ड फोरम (IWF) ने मामले में अफगान अधिकारियों से संपर्क कर इस मुद्दे को उठाया है। IWF के अध्यक्ष पुनीत सिंह चंडोक ने कहा, "अफगानिस्तान में हिंदुओं और सिखों की सामान्य परिषद के सदस्यों ने बताया कि अधिकारियों ने उन्हें यात्रा करने से नहीं रोका, लेकिन गुरु ग्रंथ साहिब साथ ले जाने से इनकार कर दिया।"
उन्होंने कहा, "हम तालिबान सरकार के साथ मामले को उठाकर समाधान निकालने का प्रयास कर रहे हैं।"
पृष्ठभूमि
अफगानिस्तान में बचे हैं 100 से भी कम सिख
बता दें अफगानिस्तान में बढ़ते अत्याचारों के चलते अफगान सिखों ने 1990 के दशक में देश छोड़कर भागना शुरू कर दिया था। वर्तमान में वहां 100 से भी कम अफगान सिख बचे हुए हैं और इनमें 60 सिखों का यह समूह भी शामिल है।
दरअसल, ये सिख गुरु ग्रंथ साहिब के बिना देश छोड़कर जाने को तैयार नहीं है।
वर्तमान में भारत में 20,000 से अधिक अफगान सिख रह रहे हैं और इनमें से अधिकतर दिल्ली के शिविरों में हैं।