पंचतत्व में विलीन सुषमा स्वराज, राजकीय सम्मान से हुआ अंतिम संस्कार
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का पार्थिव शरीर पंचत्तव में विलीन हो गया है। पूरे राजकीय सम्मान के साथ लोधी रोड स्थित शव दाहगृह में उनका अंतिम संस्कार किया गया। इससे पहले अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में रखा गया था। यहां कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनके पार्थिव शरीर पर BJP का झंडा रखा। इसके बाद उनके शव पर तिरंगा लपेटा गया।
तिरंगे में लपेटा गया सुषमा स्वराज का शव
पति और बेटी ने सलाम कर दी विदाई
सुषमा स्वराज को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जा रही है। अंतिम विदाई के वक्त सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल और उनकी बेटी बांसुरी स्वराज काफी भावुक हो गए और उन्होंने सुषमा को सलाम किया।
बेटी और पति ने दी अंतिम विदाई
दिल का दौरा पड़ने से हुआ था निधन
मंगलवार रात को दिल का दौरा पड़ने से सुषमा स्वराज का निधन हो गया था। उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था, लेकिन उनको नहीं बचाया जा सका। वो देश की पहली पूर्णकालिक महिला विदेश मंत्री थीं। अंबाला में जन्मीं सुषमा के नाम सबसे कम उम्र में कैबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ड है। उन्होंने महज 25 साल की उम्र में हरियाणा में चौधरी देवीलाल की सरकार में श्रम मंत्री के पद की शपथ ली थी।
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प्रधानमंत्री मोदी रहे मौजूद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत सरकार के बड़े मंत्री, कई राज्यों के मुख्यमंत्री और विपक्षी पार्टियों के कई बड़े नेता सुषमा स्वराज के अंतिम संस्कार में पहुंचे हैं।
अंबाला में हुआ था सुषमा स्वराज का जन्म
सुषमा स्वराज का जन्म हरियाणा के अंबाला कैंट में 14 फरवरी, 1952 को हुआ था। उनके पिता हरदेव शर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के जाने-माने सदस्य थे। सुषमा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी। उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई अंबाला कैंट के सनातन धर्म कॉलेज से पूरी की और इसके बाद पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की। कॉलेज छात्रा रहते हुए सुषमा तीन साल तक सर्वश्रेष्ठ NCC कैडेट रही थीं।
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25 साल की उम्र में बनीं कैबिनेट मंत्री
इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमरजेंसी के दौरान उन्होंने जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में सक्रिय हिस्सा लिया। इमरजेंसी हटने के बाद उन्होंने जनता पार्टी का दामन थामा। साल 1977 में उन्होंने हरियाणा विधानसभा का चुनाव जीता और चौधरी देवीलाल सरकार में मंत्री बनी। उनके नाम सबसे कम उम्र (25 साल) में कैबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ड दर्ज है। दो साल बाद सुषमा को राज्य जनता पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया।
सात बार सांसद और तीन बार विधायक चुनी गईं सुषमा
सुषमा स्वराज अपने जीवन में सात बार सांसद (राज्यसभा और लोकसभा) तीन बार विधायक चुनी गईं। उन्होंने दिल्ली की मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और केंद्रीय मंत्री के तौर पर अपनी सेवाएं दी थी। उनके नाम राजनीतिक पार्टी की पहली महिला प्रवक्ता होने का रिकॉर्ड भी है।
नेताओं ने ऐसे किया याद
प्रधानमंत्री मोदी ने सुषमा स्वराज के निधन पर दुख जताते हुए कहा, 'भारतीय राजनीति का महान अध्याय खत्म हो गया। भारत अपने एक असाधारण नेता के जाने का शोक मना रहा है, जिसने लोगों की सेवा और गरीबों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए अपनी जीवन समर्पित कर दिया।' लालकृष्ण आडवाणी ने सुषमा को याद करते हुए लिखा कि उनका ऐसा कोई जन्मदिन नहीं गया है जब सुषमा उनके लिए उनका पसंदीदा चॉकलेट केक नहीं लाती थीं।