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    क्या सुप्रीम कोर्ट और CJI को RTI कानून के दायरे में आना चाहिए? कल आएगा फैसला

    क्या सुप्रीम कोर्ट और CJI को RTI कानून के दायरे में आना चाहिए? कल आएगा फैसला

    लेखन मुकुल तोमर
    Nov 12, 2019
    07:20 pm

    क्या है खबर?

    सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश (CJI) को सूचना के अधिकार (RTI) कानून के दायरे में आते हैं या नहीं, इसे लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी।

    सुप्रीम कोर्ट मामले में अपनी ही अपील पर सुनवाई कर रही है।

    कोर्ट ने ये अपील दिल्ली हाई कोर्ट के एक दशक पुराने उस आदेश के खिलाफ की थी जिसमें कहा गया था कि CJI और सुप्रीम कोर्ट RTI कानून के दायरे में आते हैं।

    हाई कोर्ट फैसला

    दिल्ली हाई कोर्ट ने 2009 में सुनाया था फैसला

    दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट ने 2009 में अपने फैसले में कहा था कि CJI और सुप्रीम कोर्ट अन्य सार्वजनिक संस्थाओं की तरह RTI कानून के तहत सूचना देने के लिए बाध्य हैं।

    हाई कोर्ट RTI कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    सुभाष ने 2007 में जजों की संपत्ति के बारे में जानने के लिए एक RTI दायर की थी, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई।

    जानकारी

    सुभाष ने की CIC से शिकायत

    जानकारी नहीं मिलने के बाद सुभाष ने इसकी शिकायत केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) से की, जिसने उन्हें सूचना प्रदान किए जाने का आदेश दिया। CIC के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी, लेकिन उनसे CIC के फैसले को बरकरार रखा।

    फैसले के खिलाफ याचिका

    सुप्रीम कोर्ट के महासचिव और केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने दी फैसले को चुनौती

    हाई कोर्ट के फैसले के बाद 2010 में सुप्रीम कोर्ट के महासचिव और केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील कर दी।

    इस अपील में कहा गया है कि RTI कानून के तहत जानकारी साझा करने से सुप्रीम कोर्ट और CJI की स्वतंत्रता से समझौता होगा और ये न्यायपालिका की कार्यप्रणाली के लिए हानिकारक साबित होगा।

    इस साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

    जानकारी

    दोपहर दो बजे फैसला सुनाएगी सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच

    अब बुधवार दोपहर दो बजे के करीब सुप्रीम कोर्ट बेंच मामले में अपना फैसला सुनाएगी। पांच सदस्यीय इस बेंच में CJI रंजन गोगोई, न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूढ, न्यायाधीश एनवी रमणा, न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश दीपक गुप्ता शामिल हैं।

    RTI कानून

    क्या है RTI कानून?

    कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार 2005 में RTI कानून लेकर आई थी।

    इस कानून के तहत, एक आम आदमी जनता के पैसे से चलने वाले सभी सार्वजनिक संस्थानों से उनके कामकाज से संबंधी जानकारी मांग सकता है।

    सेना और आंतरिक सुरक्षा से संबंधित संस्थानों को इस कानून से बाहर रखा गया है।

    सरकारी विभागों में पारदर्शिता के लिहाज से RTI कानून को महत्वपूर्ण माना जाता है और इसके कारण कई घोटाले सामने आए हैं।

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