स्कूल-अस्पताल, बस और रेलवे स्टेशन से हटाए जाएंगे आवारा कुत्ते, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
क्या है खबर?
आवारा कुत्तों के काटने के मामले चिंताजनक रूप से बढ़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा आदेश दिया है। उसने प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, सार्वजनिक खेल परिसर, बस स्टैंड, डिपो और रेलवे स्टेशन के परिसर से आवारा कुत्तों को हटाने और उनका प्रवेश रोकने को कहा है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने कहा कि सार्वजनिक परिसरों में इनका प्रवेश रोकने के लिए आवश्यक बाड़ लगाए जाने चाहिए।
आदेश
स्थानीय निकाय परिसर में कुत्तों को आने से रोकें- कोर्ट
पीठ ने आवारा कुत्तों के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए यह आदेश पारित किया है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि स्थानीय निकाय समय-समय पर निरीक्षण करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसे परिसरों में आवारा कुत्तों का कोई निवास स्थान न हो। साथ ही संबंधित स्थानीय स्व-सरकारी संस्थाओं को जिम्मेदारी दी है कि वे ऐसे संस्थानों और क्षेत्रों से आवारा कुत्तों को उठाएं और पशु जन्म नियंत्रण नियमों के अनुसार टीकाकरण और नसबंदी कर उन्हें आश्रयों में पहुंचाएं।
आदेश
राष्ट्रीय राजमार्गों से भी कुत्तों और अन्य जानवरों को हटाने को कहा
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इन क्षेत्रों से उठाए गए आवारा कुत्तों को उस क्षेत्र में नहीं छोड़ा जाना चाहिए, जहां से उन्हें उठाया गया था। कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने की अनुमति दी जाएगी तो ऐसे संस्थानों को आवारा कुत्तों की उपस्थिति से मुक्त करने का उद्देश्य सफल नहीं होगा। कोर्ट ने सड़कों और राजमार्गों से आवारा पशुओं और अन्य जानवरों को हटाने के निर्देश भी पारित किए हैं।
मामला
क्या है आवारा कुत्तों के काटने का मामला?
28 जुलाई को न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की खंडपीठ ने टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के आधार पर आवारा कुत्तों के मामले का स्वत: संज्ञान लिया था। इसके बाद 11 अगस्त को दिल्ली नगर निगम अधिकारियों को सभी आवारा कुत्तों को आश्रय स्थल स्थानांतरित करने का आदेश दिया। इसके बाद 13 अगस्त को मामला न्यायमूर्ति नाथ की अध्यक्षता वाली 3 न्यायाधीशों की पीठ को सौंपा गया, जिन्होंने 22 अगस्त को 11 अगस्त के आदेश में संशोधन किया।
आदेश
कुत्तों को इलाकों से न हटाने का दिया था निर्देश
तीन न्यायाधीश की पीठ ने 22 अगस्त के फैसले में 11 अगस्त के आदेश को बहुत कठोर बताते हुए रोक लगा दी और कहा कि रैबीज वाले कुत्तों को छोड़कर अन्य को नसबंदी के बाद उसी इलाके में छोड़े जहां से उन्हें उठाया गया था। पीठ ने आवारा कुत्तों को सार्वजनिक रूप से भोजन कराने पर रोक लगाई और कुत्तों को उठाने पर आपत्ति न जताने को कहा। पीठ ने सभी राज्य सरकारों को हलफनामा दाखिल करने को कहा था।