सुप्रीम कोर्ट अश्लील फिल्मों पर पाबंदी का इच्छुक नहीं, नेपाल में Gen-Z विरोध-प्रदर्शन का हवाला दिया
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पोर्नोग्राफी पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए नेपाल में हुए Gen-Z प्रदर्शन का हवाला दिया और याचिका पर विचार करने की अनिच्छा प्रकट की। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि वह याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है। हालांकि, कोर्ट सुनवाई के लिए मान गया है, जो 4 सप्ताह बाद की जाएगी।
उदाहरण
नेपाल के प्रदर्शन का हवाला दिया
कोर्ट में दायर याचिका में सरकार को पोर्नोग्राफी देखने पर अंकुश लगाने, खासकर नाबालिगों को देखते हुए नीति बनाने की मांग की गई थी। इस दौरान पीठ ने कहा, "देखिए नेपाल में प्रतिबंध को लेकर क्या हुआ।" याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि केंद्र सरकार को इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी की आसान उपलब्धता का हवाला देते हुए, इस तक पहुंच को रोकने के लिए एक नीति बनानी चाहिए। याचिकाकर्ता ने समाज और व्यक्ति पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव का जिक्र किया।
प्रतिबंध
क्या भारत में गैर-कानूनी है पोर्न देखना?
भारत में पोर्न देखना अपराध की श्रेणी में नहीं आता है, लेकिन अगर किसी ने अश्लील सामग्री का निर्माण या वितरण, विशेष रूप से व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया तो उसे भारतीय न्याय संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT अधिनियम) के तहत सजा हो सकती है। हालांकि, भारत सरकार इसको लेकर सख्त है। उसने पोर्नहब सहित लगभग 1,000 पोर्न वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही कम से कम 25 ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया है।