भीमा कोरेगांव मामले में गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में बुजुर्ग सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को जमानत दे दी। कोर्ट ने नवलखा की उम्र और सुनवाई में लगने वाले समय को देखते हुए जमानत दी। कोर्ट ने कहा कि मामले में अन्य 6 सह-आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है। न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने नवलखा को नजरबंद के दौरान उनकी सुरक्षा पर खर्च हुए 20 लाख रुपये का भुगतान करने का भी आदेश दिया।
घर पर ही नजरबंद थे नवलखा
नवलखा 2018 में गिरफ्तार हुए थे। इसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिसंबर, 2023 में उनको जमानत दे दी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने सुप्रीम कोर्ट में नवलखा की जमानत पर आपत्ति जताई, जिसके बाद कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। नवलखा ने सुप्रीम कोर्ट से घर पर नजरबंद करने की अनुमति मांगी थी और खर्च उठाने की बात कही थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट राजी हो गया था। वह नवंबर से नवी मुंबई स्थित घर पर नजरबंद थे।
क्या है पूरा मामला?
महाराष्ट्र के पुणे में दिसंबर, 2017 में एल्गार परिषद का कार्यक्रम हुआ था, जिसमें नवलखा समेत अन्य लोगों ने भाषण दिया था। आरोप है कि नवलखा के भाषण के बाद ही भीमा कोरेगांव हिंसा भड़की थी। नवलखा पर जनवरी, 2018 में मामला दर्ज हुआ था और अगस्त, 2018 में गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस का दावा है कि आयोजकों के संबंध नक्सलियों से हैं। मामले में वरवरा राव, अरूण फरेरा, वर्णन गोन्साल्विज और सुधा भारद्वाज भी आरोपी पाए गए थे।