भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार आदिवासी कार्यकर्ता स्टेन स्वामी का निधन
आदिवासी कार्यकर्ता और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून के तहत गिरफ्तार किए गए स्टेन स्वामी का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। 84 वर्षीय स्वामी पर भीमा कोरेगांव मामले में हिंसा भड़काने का मामला चल रहा था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने उन्हें पिछले साल रांची से हिरासत में लिया था। आज उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही थी। इस दौरान कोर्ट को उनके निधन की जानकारी दी गई। वो कल से वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे।
स्वामी को सुबह पड़ा था दिल का दौरा
स्वामी की लगातार बिगड़ती सेहत को देखते हुए उनके वकीलों ने सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर तुरंत सुनवाई की मांग की थी। सुनवाई के दौरान अस्पताल के मेडिकल निदेशक ने बताया कि उन्हें आज सुबह लगभग 4:30 बजे दिल का दौरा आया था। इसके बाद वो होश में नहीं आए। दोपहर 1:24 मिनट पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनके मौत के कारणों में पार्किंसन और दूसरी बीमारियों शामिल हैं।
मुंबई के अस्पताल में चल रहा था इलाज
अदालत के आदेश के बाद उन्हें 28 मई को मुंबई के होली फैमिली अस्पताल लाया गया था। उनके वकील लंबे समय से उनकी अंतरिम जमानत के लिए प्रयास कर रहे थे। उन्होंने जमानत याचिका में दावा किया था कि स्वामी पार्किंसन समेत कई बीमारियों से ग्रस्त हैं। पिछले महीने उन्हें कोरोना संक्रमित पाया गया था। दूसरी तरफ NIA ने याचिका का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि वो माओवादी हैं, जिन्होंने देश में अशांति पैदा करने की साजिश रची।
किस मामले में गिरफ्तार हुए थे स्वामी?
भीमा-कोरेगांव में 1 जनवरी, 2018 को दक्षिणपंथी संगठनों के विरोध के बीच दलित समुदाय का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था। कार्यक्रम के दौरान हिंसा भड़क गई और भीड़ ने मकानों और दुकानों में तोड़फोड़ कर दी। इस हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हुई थी और कई अन्य घायल हुए। जांच के दौरान हिंसा का माओवादी कनेक्शन सामने आया और इस मामले में कई गिरफ्तारियां हुईं। इस मामले में कई अन्य लोगों के साथ स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी हुई थी।
स्वामी ने आरोपों का किया था खंडन
जांच एजेंसियों ने स्वामी पर आरोप लगाया कि वो प्रतिबंधित संगठन CPI (माओवादी) से जुड़े हैं और इसके एक मुखौटा संगठन के संयोजक हैं। स्वामी पर सक्रिय रूप से संगठन की गतिविधियों में शामिल रहकर काम बढ़ाने और प्रोपेगेंडा फैलाने का आरोप भी लगाया गया था। अपने बचाव में स्वामी ने कहा कि उन्हें आदिवासी युवाओं की अंधाधुंध गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए गिरफ्तार किया गया है और उनका किसी भी प्रतिबंधित संगठन से संबंध नहीं है।
कौन थे स्टेन स्वामी?
तमिलनाडु के एक किसान परिवार में पैदा हुए स्टेन स्वामी को सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता था। उन्होंने 10 साल से भी अधिक समय तक बेंगलुरु में हाशिए पर मौजूद समुदायों के नेताओं के प्रशिक्षण के लिए स्कूल चलाया था। 60 के दशक में वो पादरी बनने के लिए तमिलनाडु से झारखंड आ गए। यहां चर्च से ज्यादा आदिवासियों और वंचितों की मदद करने के लिए उन्हें ज्यादा पहचान मिली।