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स्पाइसजेट ने यात्री का चेक-इन बैग खोया, करना होगा 2 लाख रुपये का भुगतान
स्पाइसजेट को यात्री का बैग खोने पर 2 लाख रुपये भुगतान करने का आदेश (प्रतीकात्मक तस्वीर: एक्स/@LiveFromALounge)

स्पाइसजेट ने यात्री का चेक-इन बैग खोया, करना होगा 2 लाख रुपये का भुगतान

लेखन गजेंद्र
Jun 19, 2025
04:18 pm

क्या है खबर?

दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग ने स्पाइसजेट एयरलाइंस को यात्री के साथ लापरवाही दिखाने पर 2 लाख रुपये का आर्थिक दंड दिया है। दरअसल, एयरलाइंस ने यात्री के चेन-इन बैग को खो दिया था, जिसके बाद यात्री उपभोक्ताय आयोग में पहुंचा था। आयोग ने एयरलाइंस को यात्री को 2 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। घटना 2013 की है, जबकि आयोग का फैसला 27 मई, 2025 को आया है।

विवाद

क्या है मामला?

मई 2013 को यात्री अपनी पत्नी और नाबालिग बेटे के साथ नेपाल से छुट्टी मानकर स्पाइसजेट से दिल्ली लौट रहा था। उनके पास 2 सूटकेस थे, जिसमें प्रत्येक का वजन 23 किलोग्राम था। दोनों सूटकेस को काठमांडू हवाई अड्डे पर स्कैन करके चेक-इन बैगेज के रूप में टैग किया गया था। जब यात्री दिल्ली पहुंंचे तो उनको सिर्फ एक बैग मिला, जबकि सोने के आभूषण, कपड़े और कीमती सामान वाला दूसरा बैग खोया हुआ घोषित कर दिया गया।

भत्ता

केवल 3,000 रुपये दे रही थी एयरलाइंस

एयरलाइन के अधिकारी जांच के बावजूद बैग ढूंढ नहीं पाए। तब स्पाइसजेट ने यात्री को 200 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से 3,000 रुपये मुआवजा देने की पेशकश की। यात्री ने इसे अस्वीकार कर दिया। प्रबंधन से बातचीत के बाद जब मामला नहीं सुलझा तो उन्होंने कानूनी नोटिस भेजा और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई। जब स्पाइसजेट ने अपील की, तो मामला दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग में चलाया गया।

दलील

स्पाइसजेट की दलील खारिज की

स्पाइसजेट के वकीलों ने आयोग के सामने दलील दी कि ई-टिकट पर नियम और शर्त में बताया गया है कि यात्री चेक-इन बैगेज में कीमती सामान और दवाएं न ले जाएं। यात्री ने शर्त का उल्लंघन किया है, इसलिए जोखिम उठाने और अपने गलत काम के कारण वह लाभ नहीं ले सकते। हालांकि, आयोग ने दावा खारिज कर दिया। एयरलाइंस यह साबित नहीं कर सकी कि बैगेज पॉलिसी ई-टिकट पर छपी थी या चेक-इन काउंटर पर प्रदर्शित की गई थी।

जानकारी

कितने का मिला मुआवजा?

आयोग ने एयरलाइन को यात्री को 1.5 लाख रुपये मानसिक उत्पीड़न के लिए और 50,000 रुपये मुकदमे के खर्च के लिए मुआवजा देने का आदेश दिया। आयोग ने कहा कि यह मामला अन्य सामान खोने के मामलों से काफी अलग है।